मुंबई। भारतीय शेयर बाजारों की शुरुआत आज गिरावट के साथ हुई और फिलहाल सेंसेक्स में लगभग 500 अंकों की गिरावट देखी जा रही है । विशेषज्ञों का कहना है कि चीन के बाजारों में गिरावट के कारण बाजार पर दबाव है। फिलहाल बीएसई का 30 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 483 अंक यानि 1.72 फीसद की गिरावट के साथ 27688 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।
वहीं एनएसई का 50 शेयरों वाला प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 146 अंक यानि 1.77 फीसद गिरकर 8364 के स्तर पर आ गया है। बाजार के सारे सेक्टर लाल निशान में नजर आ रहे हैं। मेटल, पीएसयू बैंक, रियल्टी, इंफ्रा, फाइनेंस, मीडिया में 1.6-2 फीसद की गिरावट देखी जा रही है। एनर्जी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और आईटी शेयर भी अच्छी गिरावट दिखा रहे हैं। चीन के शेयर बाजार में बुधवार को करीब 8 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। बिकवाली रोकने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हुए और ट्रेडिंग बंद करने की नौबत आ गई।
चीन के शेयर बाजार की मौजूदा हालत देखकर मेरिल लिंच ने दुनिया में खतरनाक वित्तीय संकट की आशंका जताई है। साल 2008 में वैश्विक संकट के बाद चीन के शेयर बाजार में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। जून से लेकर अब तक चीन के सीएसआई300 इंडेक्स की वैल्यू में एक तिहाई गिरावट आ चुकी है।
सेंसेक्स और निफ्टी पर कोहराम
ग्रीस संकट के असर से चीन के बाजारों में आई गिरावट के असर से भारतीय शेयर बाजारों में भी बुधवार के कारोबार में भारी गिरावट दर्ज हुई है। बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 500 अंक और एनएसई इंडेक्स निफ्टी 160 अंकों से ज्यादा की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। निफ्टी 8352 के स्तर तक गिरकर निचे के रूझान पर है तो सेंसेक्स भी 27700 के स्तर के नीचे पहुंचकर लाल निशान पर बना है।
सोना-चांदी और क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट
चीन के बाजारों में गिरावट की सबसे बडी मार उपभोक्ता बाजार पर देखने को मिली। वैश्विक स्तर पर सोना-चांदी, क्रूड और बेस मेटल्स में भारी बिकवाली है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि चीन विश्व की दूसरी सबसे बडी अर्थव्यवस्था है, और सोने-चांदी, क्रूड का सबसे बडा उपभोक्ता देश है। नायमैक्स पर क्रूड का भाव 51 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है, वहीं, सोना और चांदी चार महीने के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। निकेल और कॉपर की कीमतें भी 6 साल के निचले स्तर पर लुढककर कारोबार कर रही हैं।
क्यों टूटा चीन का बाजार
बैंक ऑफ अमेरिका की रिपोर्ट के मुताबिक,चीन के बाजार में गिरावट से अर्थव्यवस्था को बडा झटका लगेगा और इसके परिणाम यूरोजोन से भी गंभीर हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी इक्विटी मार्केट में गिरावट, ग्रीस संकट के होने से डॉलर की सेहत में बेहतरी के डर से गोल्ड की कीमतों में गिरावट बढने की आशंका है। इसके चलते चीन के शेयर मार्केट में जिन निवेशकों ने उधार के पैसों से बडा दांव लगाया था, वह तेजी के अपने सौदे काट रहे हैं।