नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक आपराधिक केस की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड के महाधिवक्ता एस एन बाबुलकर को चेतावनी जारी की है और उनके व्यवहार को कोर्ट की अवमानना के श्रेणी में माना है। न्यायालय ने हालांकि महाधिवक्ता के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही अमल में नहीं लाया लेकिन उन्हें आगे ऐसा न करने की चेतावनी दी है। न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने यह चेतावनी जारी की है। दरअसल घटना 11 मई की है जब न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की पीठ में उधमंसिहनगर जनपद के रूद्रपुर के एक आपराधिक मामले की सुनवाई चल रही थी।
इस मामले में जांच अधिकारी द्वारा पीड़ित पक्ष का बयान दर्ज नहीं किया गया और रिपोर्ट पेश कर दी गयी। सीआरपीसी की धारा 164 के तहत मामले की दोबारा जांच की मांग की गई। इस मामले में सहायक सरकारी अधिवक्ता पी एस बोहरा सरकार की ओर से बचाव कर रहे थे। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस दौरान महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर कोर्ट रूम में मौजूद थे और उन्होंने सुनवाई के दौरान बीच में आकर मामले में हस्तक्षेप किया और मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाया। न्यायालय ने कहा कि महाधिवक्ता का कदम उचित नहीं था। न्यायालय ने महाधिवक्ता के इस कदम को कोर्ट की कार्यवाही में रूकावट माना और कहा कि महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट की अनुमति नहीं ली गयी और ऐसा जानबूझकर किया गया।