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भू-क्षरण रोकने का लक्ष्य 2030 तक पूरा करना जरूरी : हर्षवर्द्धन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 24 2018 6:51PM | Updated Date: Apr 24 2018 6:51PM
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नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने कहा कि प्रमुख संसाधन जमीन का दोहन इस प्रकार से किया जाना चाहिए कि इसकी सेहत को नुकसान न पहुंचे और इसके लिए  2030 तक भू-क्षरण रोकने का लक्ष्य हासिल करना जरूरी है। डॉ. हर्षवर्द्ध्रन ने जमीन को बंजर बनने से रोकने सम्बन्धी संयुक्त राष्ट्र संधि पर यहां आयोजित चार-दिवसीय एशिया प्रशान्त कार्यशाला का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही। देश में इस तरह की कार्यशाला पहली बार आयोजित की गई है। उन्होंने देश में सूखा और जमीन के बंजर होने की गंभीर समस्या के प्रति ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा

कि प्रति मिनट 23 हेक्टेयर जमीन बंजर हो रही है। उन्होंने कहा कि देश के कुल भू-भाग का 29.32 प्रतिशत यानी  9.64 करोड़ हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जिसका क्षरण हो सकता है। इससे दो करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन को नुकसान पहुंच सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के कुल भू-भाग का 70 प्रतिशत सूखी जमीन है और 30 प्रतिशत जमीन क्षरण से तथा 25 प्रतिशत बंजरपन से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रति वर्ष 24 अरब टन उपजाऊ मिट्टी और 27000 जैव प्रजातियां समाप्त हो जा रही हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया की 30 प्रतिशत आबादी सूखे इलाकों में रहती है

और यूनेस्को के 21 में से आठ  विश्व धरोहर स्थल सूखी जमीन पर हैं। इस अंतरराष्ट्रीय संधि को लेकर देश की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए  केंद्रीय मंत्री ने कार्यशाला में शामिल लोगों से आग्रह किया कि वे इसमें सूखा, जमीन को बंजर बनने तथा इसके क्षरण को रोकने के ऐसे तरीके और उपाय निकालें जो इस दिशा में मील का पत्थर साबित हो सके।

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