नई दिल्ली। चीन ने कोरोना वायरस के प्रकोप से जल्द से मुक्ति पाने का विश्वास व्यक्त किया है और भारत से आग्रह किया है कि वह चीन से आने वाले माल एवं यात्रियों की आने जाने पर अनावश्यक रोक हटा कर सामान्य आवागमन बहाल करे। भारत में चीन के राजदूत सुन वीडोंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस महामारी से परिवहन, पर्यटन एवं खानपान के साथ-साथ लघु एवं मध्यम उद्योगों पर असर पड़ा है। चीन इस महामारी से विश्वास, करुणा एवं सहयोग के तीन तत्चों के आधार पर लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सशक्त नेतृत्व, संसाधनों को बड़े पैमाने पर जुटाने की क्षमता, चीनी नागरिकों की बलिदान की भावना, मजबूत अर्थव्यवस्था तथा उसकी दीर्घकालिक वृद्धि बरकरार रखने की क्षमता के कारण चीन का विश्वास है कि वह इस संकट से पार पा लेगा। वीडोंग ने कहा कि इतिहास में देखें तो पहले भी सार्स, एच1एन1, इबोला आदि विषाणुओं के प्रकोप से मुक्ति मिली है और आगे भी किसी अज्ञात विषाणु से मुक्ति पाएंगे। चीन के नेतृत्व को पूरा विश्वास है कि वह जल्द ही इस विषाणु के प्रकोप पर काबू कर लेगा।
हाल के दिनों में कोरोना विषाणु के संक्रमण के नये मामले सामने आने की दर घट रही है। हूबे प्रांत एवं वुहान के बाहर तो यह दर बहुत ही कम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस विषाणु पर काबू पाने के लिए चीन के कदमों की सराहना की है। उन्होंने भारत के साथ संबंधों में इस विषाणु के पनपने के बाद की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पत्र लिख कर सहानुभूति एवं एकजुटता व्यक्त की है तथा सहायता की पेशकश की है। भारत के लोगों ने भी वुहान के लोगों के प्रति एकजुटता प्रकट की है। चीन उनकी भावनाओं की सराहना करता है। इस महामारी के कारण व्यापार पर पड़ने वाले असर खासतौर पर भारत में चीन से आने वाले माल एवं यात्रियों की आवाजाही रोके जाने के बारे में एक सवाल पर चीनी राजदूत ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह व्यापार या यात्रा पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं बल्कि विरोध करते हैं। हमें उनकी सलाह माननी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम समझ सकते हैं कि कुछ देशों ने कुछ स्वाभाविक कदम उठायें हैं और आवाजाही के बिन्दुओं पर स्कैनर लगाये गये हैं। अधिकतर देशों ने जरूरत से अधिक प्रतिक्रिया नहीं जतायी है लेकिन कुछ देशों ने डब्ल्यूएचओ के निर्देशों के परे जाकर व्यापार एवं यात्रा पर प्रतिबंध लगाये हैं। वीडोंग ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि भारत इस महामारी की स्थिति की वस्तुपरक, तार्किक और विवेकपूर्ण ढंग से समीक्षा करेगा तथा दोनों नेताओं के निर्देशों को क्रियान्वित करेगा। भारत चीन से आने वाले सामान को मानवीय भावना से लेगा और सामान्य आवाजाही एवं व्यापार को बहाल करेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन को मदद की पेशकश एवं चीन की जरूरत के बारे में पूछने पर कहा कि इस महामारी के केन्द्र में मेडिकल सामग्री और विषाणु संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सामान की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत विश्व के दो विशाल विकासशील देश हैं।
प्राचीन सभ्यता होने के नाते दोनों देशों के पास वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए प्रेरणा देने की मेधाशक्ति है। जनस्वास्थ्य सुरक्षा हमारा साझा लक्ष्य है। हम इस दिशा में अपने सहयोग एवं अनुभव के आदान-प्रदान को सशक्त कर सकते हैं। वीडोंग ने कहा कि इस समय भारत एवं चीन विभिन्न क्षेत्रों में निकट सहयोग कर रहे हैं। हर साल दोनों देशों के दस लाख से अधिक लोगों की आवाजाही होती है और हमारा द्विपक्षीय व्यापार 90 अरब डालर से अधिक का है। चीन अब वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक अहम भूमिका निभा रहा है। इसलिए इस महामारी पर चीन की जल्द से जल्द विजय ना केवल चीन एवं भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसा होने पर द्विपक्षीय आर्थिक एवं व्यापारिक सहयोग पुन: पटरी पर आ जाएगा।
वुहान से भारतीय छात्रों की तीसरी खेप लाने की तैयारी के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चीन विदेशी नागरिकों की सेहत एवं सुरक्षा को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। वह भारतीय छात्रों की पूरी देखभाल करेगा जैसे वे चीन के अपने नागरिक हैं। उनकी रोजाना जरूरतों का ध्यान रखा जा रहा है और उनमें से कोई भी संक्रमण से ग्रसित नहीं पाया गया है। हम सर्तकतापूर्वक स्थिति पर निगाह रखेंगे और भारत के सतत संपर्क में रहेंगे। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 भारत एवं चीन के राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ पर आयोजित होने वाले 70 कार्यक्रमों पर असर अवश्य पड़ेगा। लेकिन ये अस्थायी होगा और उन्हें उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही ठीक हो जाएगी।