सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर तुरंत रोक लागाने से इंकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है. सरकार और आयोग से दो हफ़्तों में जवाब देने के लिए कहा गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये क़दम उठाया है। सरकार ने दो जनवरी 2018 को चुनावी बांड योजना को अधिसूचित किया था। बांड के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बांड कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है, जो भारत का नागरिक है या जिसका भारत में कारोबार है।
मीडिया रिपोर्टों में ये बात सामने आई है कि कि केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उठाई गई गंभीर आपत्तियों की अनदेखी करते हुए चुनावी बॉन्ड स्कीम को आगे बढ़ाया। NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने इस विवादास्पद योजना पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है। केंद्र सरकार फाइनेंस एक्ट 2016 और फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिए चुनाव बांड की योजना लाई थी। याचिकाकर्ताओं कहना है कि सरकार ने कानून में संशोधन कर दिया जिससे चुनाव बांड के जरिए मिले चंदे का खुलासा करने से उसे छूट दे दी गई है।