नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं जम्मू.कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने की तो थोड़ी बहुत कल्पना थी लेकिन राज्य का दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने का केन्द्र सरकार का फैसला हैरान करने वाला था। आजाद ने आजतक चैनल के ‘एजेंडा आजतक’ के आठवें संस्करण में ‘कितना गुलाम कितना आजाद’ सत्र को संबोधित करते हुए जम्मू-कश्मीर के मसले पर विस्तार से अपनी राय रखी और कहा कि अनुच्छेद 370 को जिस तरीके से हटाया गया, वह रास्ता ठीक नहीं था। राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने की एक प्रक्रिया थी और यह तय किया गया था कि आने वाले समय में इस पर काम किया जायेगा।
कांग्रेस की सरकार के रहते हुए भी कश्मीर में बहुत से बदलाव किए गए लेकिन जो भी बदलाव किए विधानसभा की अनुमति लेकर हुए। उन्होंने कहा जो कानून हिंदुस्तान में बना वहां भी लागू हुआ लेकिन अनुच्छेद 370 को खत्म करने का जो रास्ता अपनाया गया वह ठीक नहीं है। आजाद ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने को ‘हार्ट अटैक’ जैसा बताया और कहा कि सेना और सुरक्षा बल को वहां लगाकर ऐसा किया गया। जिस विधेयक पर संसद में चर्चा होती उसे पहले सदन पटल पर रखा जाता है। उन्होंने कहा,‘‘ हम अनुच्छेद 370 को हटाने की तो कुछ कल्पना कर सकते थे लेकिन लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाना हैरान करने वाला था।’’
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधान हटाने के साथ ही अनुच्छेद-35 ए को भी खत्म कर दिया और राज्य का दो केंद्र शासित प्रदेश में बंटवारा कर दिया था। उन्होंने कहा वर्तमान में जम्मू-कश्मीर के चार पूर्व मुख्यमंत्री हैं जिनमें से तीन नजरबंद हैं और चौथे को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद राज्य में जाने दिया जाता है और कहा जा रहा है कि वहां हालात सामान्य हैं। क्या यह संभव है। क्या यही लोकतंत्र है कि देश के ऊपरी सदन में विपक्ष का नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उच्चतम न्यायालय के आदेश से राज्य में जाएं। जम्मू-कश्मीर में गृह मंत्री अमित शाह के छह से साढ़े छह सौ लोगों के नजरबंद होने के बयान पर आजाद ने कहा कि उनका मानना है कि वहां करीब 10 हजार नेता नजरबंद हैं।
उनहोंने कहा कि राज्य के पूरे नेता जेल में हैं और कहा जाये कि सब कुछ ठीक है तो यह बात समझ से परे है। दूसरी पार्टियों के नेताओं को राज्य में नहीं जाने दिया जाये और कहा जाए कि सब कुछ ठीक है, यह कैसा लोकतंत्र है। विपक्ष के नेता ने कहा कि राज्य में राज्यपाल शासन लगाकर कानून लागू किये जा रहे हैं और सरकार ही सब कुछ तय कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में 12 राज्य बने थे, जम्मू-कश्मीर एक राज्य था लेकिन उसके टुकड़े कर दिए गए और बड़ी संख्या में सुरक्षा बल लगाकर कहा जा रहा है कि वहां प्रदर्शन नहीं हो रहे हैं।