नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज स्पष्ट किया कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र प्राधिकरण की स्थापना केवल गुजरात में ‘गिफ्ट सिटी’ में बने अंतराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र के लिए नहीं की जा रही है यह पूरे देश के लिए होगी और कोई भी राज्य जरूरी मापदंडों को पूरा कर इस तरह के केन्द्र बना सकता है। वित्त मंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र विधेयक पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिसके साथ ही इस पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक में लंदन, न्यूयॉर्क और सिंगापुर की तर्ज पर भारत में गांधीनगर में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र प्राधिकरण की स्थापना करना है।
विधेयक के माध्यम से भारतीय रिजÞर्व बैंक, सेबी और आईआरडीए से जुड़े 14 कानूनों में भी बदलाव किया जा रहा है। सीतारमण ने कहा कि इस केन्द्र की जरूरत 2008 में महसूस की गयी थी और उसके बाद संप्रग सरकार ने 18 अगस्त 2011 को गुजरात में इसकी स्थापना की अनुमति दी थी और 2015 में इसे अधिसूचित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह किसी एक राज्य के लिए ‘गिफ्ट’ नहीं है और किसी भी राज्य को वित्तीय सेवाओं के एसईजेड बनाने पर रोक नहीं है यदि कोई भी राज्य इसके लिए पर्याप्त ढांचागत व्यवस्था करता है तो उसे अनुमति दी जा सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस विधेयक के माध्यम से भारतीय रिजÞर्व बैंक, सेबी और आईआरडीए से जुड़े 14 कानूनों में इस प्रकार से बदलाव किया जा रहा है कि वित्तीय सेवा एसईजेड में सभी इकाइयों में एकल खिड़की विनियामक होगा जबकि देश में अन्यत्र ये कानून पूर्ववत लागू रहेंगे।
कैग को इसका ऑडित करने का अधिकार होगा। सीतारमण ने कहा कि गिफ्ट सिटी का एसईजेड 886 एकड़ का क्षेत्र है जिसमें 625 एकड़ घरेलू कारोबार के लिए और 261 एकड़ अंतरराष्ट्रीय एसईजेड है जो मल्टीसर्विस एसईजेड है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित मध्यस्थता के मामलों के लिए सिंगापुर मध्यसथता केन्द्र के साथ समझौता किया गया है। गुजरात के वित्तीय सेवा केन्द्र में दो स्टाक एक्सचेंज काम कर रहे हैं जिनमें हर रोज 4 अरब डालर का कारोबार होता है। वहां 13 अंतर्राष्ट्रीय बैंक हैं जिनमें 24 अरब डालर का कारोबार होता है। इसके अलावा 19 बीमा कंपनियां, 50 कैपिटल मार्केट कारोबारियों को लाइसेंस दिया गया है। कहा कि यह विधेयक पहले राज्यसभा में ही पेश किया गया था लेकिन इसके वित्तीय विधेयक होने के कारण इसे यहां से वापस लेकर पहले लोकसभा में पेश किया गया और वहां से पारित होने पर राज्यसभा में लाया गया है।