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नागरिकता विधेयक को न्यायालय में दी जायेगी चुनौती : चिदंबरम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 11 2019 3:52PM | Updated Date: Dec 11 2019 3:53PM
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नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक को पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुये बुधवार को राज्यसभा में कहा कि अब इस विधेयक को न्यायलय में चुनौती दी जायेगी तथा इस पर न्यायाधीश और वकील बहस के आधार पर फैसला करेंगे जो संसद के गाल पर तमाचा होगा। चिदंबरम ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आज सदन में पेश इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुये कहा कि भारत में नागरिकता को लेकर कानून है।
 
इस देश में किस तरह से नागरिकता दी जायेगी इसका पूरा प्रावधान है लेकिन इस सरकार ने सिर्फ तीन देशों को एक समूह बनाकर वहां के अल्पसंख्यकों विशेषकर हिन्दु, सिख, ईसाई, बौद्ध और अहमदिया को नागरिकता दिये जाने का प्रावधान किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि श्रीलंका के  हिन्दुओं और भूटान के ईसाई को इसमें क्यों शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने इस विधेयक की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुये कहा कि यह विधेयक न्यायपालिका में टीक नहीं पायेगा।
 
उन्होंने कहा कि जो काम विधायिका को करना चाहिए अब वह काम न्यायपालिका को करना होगा। जिनको कानून बनाने के लिए चुनकर भेजा गया है वे अपने कर्तव्यों से विमुक्त हो गये हैं। अब इस विधेयक को न्यायलय में चुनौती दी जायेगी और इस पर न्यायाधीश और वकील बहस के आधार पर फैसला करेंगे जो संसद के गाल पर तमाचा होगा। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लेकर वह सरकार से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं जिसका जबाव कौन देगा। ऑर्टेनी जनरल को सदन में बुलाकर इसका जबाव दिलाना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के अल्पसंख्यकों को ही क्यों इसके लिए चुना गया है। इन तीनों देशों के सिर्फ हिन्दु, क्रिश्चन,सिख, बौद्ध, पारसी और अहमदिया को ही इसके लिए चयन किया गया है। इस्लाम और अन्य धर्माबंलियों का चयन क्यों नहीं किया गया है। भूटान के ईसाई और श्रीलंका के हिन्दुओं को इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया है।
 
उन्होंने कहा कि इसके लिए धार्मिक उत्पीड़न को आधार क्यों बनाया गया है जबकि भाषा, राजनीतिक और कई अन्य कारणों से भी उत्पीड़न होता है। चिदंबरम ने कहा कि यह संविधान के तीन अनुच्छेदों के विरूद्ध है। संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है जबकि यह विधेयक पूरी तरह से इसके विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर कार्यपालिका चुप है। विधायिका सहयोग कर रही है जबकि न्यायपालिका इसको खारिज करेगी। 
 
 
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