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CAB से पूर्वोत्तर राज्यों की संस्कृति और जनसांख्यिकी पर असर नहीं: माधव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 11 2019 1:23AM | Updated Date: Dec 11 2019 1:23AM
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जैसलमेर। लोकसभा में नागरिकता संसोधन कानून (सीएबी) पारित होने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों में हो रहे विरोध आंदोलन के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव एवं पूर्वोत्तर राज्यों के प्रभारी राम माधव ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा है कि इस कानून के बनने से वहां उनकी भाषा, संस्कृति एवं जनसांख्यिकी पर किसी तरह का असर नहीं होगा। माधव ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि उत्तर पूर्वी राज्यों के नागरिकों को किसी प्रकार की चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है।
 
उन्होंने इस कानून से भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के संभावना को खारिज करते हुए कहा कि इस कानून का मकसद धार्मिक प्रताड़ना के कारण पड़ौसी राज्यों से विस्थापित होकर भारत में आये पीड़तिों को सिर्फ नागरिकता दिलवाना है। इस पर किसी प्रकार का विवाद उत्पन्न करने का प्रयास गलत है। माधव ने कहा कि यह विधेयक दशकों से लम्बित था। पड़ौसी देशों से अल्पसंख्यकों जिनमें ज्यादातर हिन्दू, सिख हैं और बंगलादेश से आये बहुत से लोग शामिल हैं, उनके लिए यह यह बड़ी राहत है।
 
उन्होंने कहा कि देश विभाजन के बाद सात दशकों में एक करोड़ से भी ज्यादा लोग धार्मिक कारणों से विस्थापित होकर हमारे देश में आये हैं। अब तक उन्हें नागरिकता नहीं मिल पा रही थी, लेकिन अब इस कानून के बन जाने से इन्हें नागरिकता का मार्ग प्रशस्त हुआ है। माधव ने पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक के सम्बन्ध में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बारे में कहा कि कुछ दल एवं संगठन लोगों को गुमराह कर रहे हैं, वहां हमारी सरकारें हैं। हम उन्हें समझा लेंगे। इस विधेयक को लोकसभा में पेश करने से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने 120 घंटो तक पूर्वोत्तर की सरकारें, सामाजिक संगठन, सभी राजनीतिक दलों से चर्चा करके इस विधेयक को पेश किया है।
 
राम माधव ने कहा -‘हम पूर्वोत्तर राज्यों के सभी नागरिकों को भरोसा दिलाते हैं कि उन्हें इस कानून से किसी प्रकार का कोई खतरा नही हैं। इससे उनकी भाषा, उनकी संस्कृति, उनकी जनसांख्यिकी को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा। यह कानून इसी प्रकार का बनाया गया है। इसमें किसी प्रकार की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। इस विधेयक से उन्हें डरने की कोई जरुरत नही हैं।’     लोकसभा के बाद राज्यसभा में यह विधेयक पारित होने की संभावना के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण विधेयक को धारा 370 के विधेयक की तरह ही समर्थन मिलेगा, ऐसा हमारा विश्वास हैं।
 
इस नागरिक संसोधन के जरिये भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के विपक्ष द्वारा लगाये जा रहे आरोपों के संबंध में उन्होंने कहा कि इस विधेयक को किसी और बहस में लपेटने का प्रयास करना गलत होगा। धार्मिक कारणों के चलते उत्पीड़ति भारत आते हैं उन्हें प्रश्रय देना देश की परंपरा रही हैं। वर्ष 1947 में धार्मिक आधार पर देश को तोड़ा गया था, तब लाखों लोग विस्थापित होकर भारत में आये थे, तब हमने उन्हें देश का नागरिक बनाया था। इसी तरह 1971 में बांग्लादेश का निर्माण होने पर भी लाखों लोग भारत  आये, लेकिन अब तक उन्हें हम नागरिकता नही दिला सके हैं, ऐसे लोगों को नागरिकता दिलाने के लिए हमने यह कदम उठाया है।
 
श्रीलंका से विस्थापित होकर आये विस्थापितों को इस बिल में शामिल न करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि श्रीलंका से राजनीतिक एवं अन्य कई कारणों से शरणार्थी भारत में आते रहते थे, हम उन्हें प्रश्रय जरुत देते हैं, हम उन्हें शामिल नहीं कर रहे हैं, लेकिन उन्हें नागरिकता हासिल करने के लिए देश के नागरिकता कानून के तहत आवेदन करना होगा। इसके लिए अलग कानून बना हुआ है।
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