प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने सरकारी वकीलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए है। इसके तहत विभिन्न न्यायालयों में तैनात किए गए विधि अधिकारियों को प्रतिदिन अपनी हाजिरी देनी होगी । साथ ही जिन मुकदमों में उन्होंने पैरवी की है उसका रजिस्टर भी मेंटेन करना पड़ेगा। विधि अधिकारियों को अपने बिल का स्वयं तथा अपने कोर्ट इंचार्ज से सत्यापन कराकर ही देने का निर्देश दिया गया है। यदि इसमें किसी तरह की गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित कोर्ट इंचार्ज और विधि अधिकारी इसके लिए उत्तरदाई होंगे। महाधिवक्ता द्वारा जारी निर्देश के अनुसार न्यायालयों में सूचीबद्ध मुकदमों की फाइलें संबंधित पटल के प्रभारी एक दिन पहले ही उस कोर्ट के इंचार्ज को देंगे तथा उनके माध्यम से वह फाइल विधि अधिकारियों को दी जाएगी ।
फाइलें वापस भी इसी तरीके से की जाएगी तथा कोर्ट इंचार्ज से होते हुए पटल अधिकारी तक जाएगी। सिंह ने यह भी निर्देश दिया है कि जो विधि अधिकारी शहर छोड़ते हैं उनको लिखित रूप से इसकी सूचना महाधिवक्ता कार्यालय को देनी होगी। इसी प्रकार से जो फाइलें विधि अधिकारियों को शपथ पत्र, अपील लिखवाने के लिए आवंटित की गई है। वह फाइलें लिखे जाने के बाद ही वापस की जाएगी। यदि किसी वजह से बिना लिखा फाइल वापस की जाती है तो उसका लिखित कारण बताना होगा। महाधिवक्ता ने यह भी निर्देश दिया है कि जिन मुकदमों में सरकार के खिलाफ आदेश होता है अथवा सरकारी अधिकारियों को न्यायालय तलब करता है, उसकी सूचना महाधिवक्ता को ई-मेल के जरिए देनी होगी ताकि समय रहते उस पर कार्रवाई की जा सके । इन सभी निर्देशों को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है। सिंह के इस फरमान से सरकारी वकीलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं एक तो उन्हें हर दिन अपनी हाजिरी देनी होगी और दूसरे जिन मुकदमों में पैरवी की गई है उनका रजिस्टर भी मेंटेन करना पड़ेगा और उसकी जांच कभी भी की जा सकती है।