नई दिल्ली। राज्यसभा में सोमवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने देश में हर साल 300 से अधिक पुराने जहाजों को तोड़ने में लगे श्रमिकों की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण पर अधिक ध्यान देने की अपील करते हुये पोत पुनर्चक्रण विधेयक 2019 का समर्थन किया है। पोत परिवहन राज्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भोजनावकाश के बाद इस विधेयक को पेश करते हुये कहा कि पूरी दुनिया में यह उद्योग बहुत पुराना है लेकिन भारत में यह एक नया क्षेत्र उभरा है। दुनिया में करीब 54 हजार जहाज है जिनमें से करीब एक हजार जहाज हर वर्ष तोड़े जाते हैं जो अपनी आयु पूरा करता है। भारत में हर वर्ष 300 से अधिक पुराने जहाज तोड़े जा रहे हैं। केरल, मुंबई, कोलकाता और गुजरात के भावनगर जिले में यह उद्योग अभी कार्यरत है। भावनगर में सबसे अधिक 131 जहाज तोड़ने वाली इकाइयां है।
उन्होंने कहा कि इसको लेकर देश में अब तक कोई कानून नहीं है। वर्ष 2013 में उच्चतम न्यायालय ने इसके लिए निर्देशिका जारी किया था जिसके आधार पर यह उद्योग काम कर रहा है। अब हांगकांग संधि और उच्चतम न्यायालय की निर्देशिका को समाहित करते हुये यह कानून बनाया जा रहा है। इसमें श्रमिकों की सुरक्षा और पर्यावरण के संरक्षण पर विशेष जोर दिया गया है क्योंकि जहाज में कई खतरनाक और विषैले पदार्थ होते हैं जिसका ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। कांग्रेस की अमी याग्निक ने इस पर चर्चा की शुरूआत करते हुये कहा कि यह विधेयक स्वागतयोग्य है। हालांकि उन्होंने इसमें कुछ खामियों का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके सुझावों को इसके लिए बनने वाले नियमों में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हांगकांग संधि में भी कुछ त्रुटियां है। बेजल संधि इसके लिए उपयुक्त हैं क्योंकि इसमें श्रमिकों और पर्यावरण दोनों पर विशेष जोर दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी के अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पांच हजार करोड़ रुपये का यह उद्योग देश हित में है। इससे उच्च गुणवत्ता का न:न सिर्फ इस्पात मिलता है बल्कि लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि उड़ीसा में भी इस उद्योग के विकास की अपार संभावना क्योंकि उसका 450 किलोमीटर लंबा तटीय क्षेत्र है। बालासोर इसके लिए उपयुक्त स्थान है। तृणमूल कांग्रेस के सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि हांगकांग संधि को ग्रीन पीस जैसे कई वैश्विक गैर सरकारी संगठनों ने विरोध किया है लेकिन यह संधि इस उद्योग के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा के साथ ही पर्यावरण संरक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए।