झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (बुंविवि) में शनिवार को आयोजित विशेष संगोष्ठी में लोकतंत्र की मजबूती और जनमत के निर्धारण में प्रेस की भूमिका को रेखांकित किया गया। यहां विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए संस्थान के समन्वयक डा कौशल त्रिपाठी ने जनमत के निर्धारण में प्रेस की भूमिका को अहम करार दिया। उन्होंने कहा कि सभी विकसित देशों में पत्रकारिता की राय को प्रमुखता से लिया जाता है। प्रेस के माध्यम से ही जनता की मांगें शासन तक पहुंच पाती हैं। उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी समेत अनेक पत्रकारों की ओर से स्थापित किए गए मूल्यों का जिक्र भी किया साथ ही विद्यार्थियों से महापुरुषों के आदर्शों और सिद्धांतों की रक्षा को समुचित कदम उठाने का आवान किया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि और अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. देवेश निगम ने विद्यार्थियों का आवान किया कि वे समाज में दिन प्रतिदिन होने वाली प्रमुख घटनाओं के बारे में अद्यतन जानकारी हासिल करने के लिए समाचारपत्रों का नियमित रूप से अध्ययन करें। तमाम विरोधाभासों के बाद भी भारत में प्रेस की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता कायम है। प्रेस की अभिव्यक्ति की खास ताकत की वजह से ही इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का दरजा दिया गया है। देश के विकास में प्रेस की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। संस्थान के पूर्व प्रमुख डा. सीपी पैन्यूली ने विद्यार्थियों का आ’’ान किया कि कि जनपक्षधरता के भाव को ध्यान में रखते हुए कार्य करें। हमेशा निष्पÞक्ष और निडर रहकर सच्चाई से खबरों को प्रस्तुत करें। दूसरों की स्वतंत्रता का सदा ख्याल रखें।
उन्होंने चिंता भरे लहजे में कहा कि पहले के मुकाबले अब खबरों में विचारों का मिश्रण देखने को मिल रहा है। यही वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या है। पहले खबरें सिर्फ खबरें होती थी। पहले खबरों में कुछ मिलावट नहीं होती थी। इससे पहले शिक्षक उमेश शुक्ल ने भारतीय पत्रकारिता दिवस के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिशों को ध्यान में रखकर 04 जुलाई 1966 को भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई। इस संस्था ने 16 नवंबर 1966 से विधिवत अपना कार्य शुरू किया। इसी उपलक्ष्य में इस दिन को हम राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाते हैं।
उन्होंने विविध उदाहरणों को सामने रखते हुए कहा कि लोकतंत्र की मजबूती और देश के विकास के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस अत्यंत आवश्यक है। शिक्षक राघवेंद्र दीक्षित ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में र्प्रेस की भूमिका को रेखांकित करते हुए उसके तेवर की तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारत में वर्ष 1780 में पहला अखबार जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा निकाले गए पहले अखबार बंगाल गजट के समय से ही प्रेस लोगों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि संवेदनशील खबरों को जनता के अधिकतम हित को देखते हुए लिखा और प्रकाशित किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में जय सिंह, अभिषेक कुमार, डा. उमेश कूमार, रजनीकांत आर्य समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।