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हरिद्वार में पांच बायोडाइजेस्टर शौचालय काम्पलेक्स के निर्माण पर हुई चर्चा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 3 2019 7:55PM | Updated Date: Nov 3 2019 7:55PM
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ऋषिकेश। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल), गंगा एक्शन परिवार एवं फिक्की के संयुक्त तत्वाधान में हरिद्वार में पांच बायोडाइजेस्टर शौचालय काम्पलेक्स के निर्माण पर हुई चर्चा के दौरान बीएचईएल प्रतिनिधि ने बताया कि कहा अब तक 20 शौचालय कॉप्लेक्स बनकर तैयार हो गये हैं जिनमें से तीन ऋषिकेश में हैं। बीएचईएल द्वारा कार्पोरेट सामाजिक दायित्व, फिक्की और गंगा एक्शन परिवार की संयुक्त पहल से 25 बायोडाइजेस्टर शौचालय काम्पलेक्स के निर्माण का संकल्प लिया गया था और अब तक 20 शौचालय काम्पलेक्स बनकर तैयार हो गये है। उन्होंने कहा बायो डाइजेस्टर शौचालय सीवेज की समस्या का बेहतर समाधान है जो पर्यावरण के अनुकूल भी है।
 
हरिद्वार और ऋषिकेश देश के प्रमुख आध्यात्मिक शहर है यहां पर देश सहित विश्व के अनेक देशों से साधक आते है अत: इन शहरों को स्वच्छ रखना जरूरी है। बायो डाइजेस्टर शौचालयों का निर्माण हरित और स्वच्छ कुम्भ की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इसके निर्माण से बाहर से आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को शौचालय की सुविधा प्रदान करने के साथ साथ तीर्थ क्षेत्र में सीवेज प्रबंधन एवं गंगा की स्वच्छता और पवित्रता को भी बनायें रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कनिष्क भाई प्रहृलाद मोदी जी ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर श्री मद्भागवत कथा और परमार्थ गंगा आरती में सहभाग किया।
 
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हरिद्वार और ऋषिकेश में बायोडाइजेस्टर शौचालय कॉम्पलेक्स के निर्माण से गंगा को शुद्ध, पवित्र और निर्मल बनायें रखने में काफी हद तक मदद मिलेगी। वर्ष 2021 के कुम्भ से पहले हमारा लक्ष्य होना चाहिये की दिव्य गंगा को प्रदूषण मुक्त बनायें और उसे उसका वास्तविक स्वरूप प्रदान करें। स्वामी जी ने कहा कि विश्व का सबसे बड़ा मेला कुम्भ देश की संस्कृति का प्रतीक है। कुम्भ मेला अध्यात्म के केन्द्र के साथ अपनी जड़ों से जुड़ने का एक माध्यम है। इसके माध्यम से लोग अपनी संस्कृति को पहचानते है, अपनी गौरवमयी संस्कृति के दर्शन करते है और इस गौरवमय संस्कृति के अंग बनते है।
 
साथ ही कुम्भ  स्वच्छता को आत्मसात करने का सबसे बेहतर माध्यम है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन का अर्थ केवल सड़कों को साफ रखना नहीं है बल्कि इसका असल मायने में अर्थ है हमारी नदियों-नालों और हमारे आस-पास के वातावरण को स्वच्छ रखना, हर गांव और शहर को खुले में शौच से मुक्त करना और यही संदेश विश्व स्तर पर हम कुम्भ के माध्यम से दे सकते है।  इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के साथ बीएचईएल और फिक्की के उच्चाधिकारियों ने मिलकर विश्व स्तर पर सभी को स्वच्छ जल की आपूर्ति हेतु विश्व ग्लोब का जलाभिषेक किया।
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