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‘गलत बात की नजीर देकर हिन्दू पक्ष मालिकाना हक साबित नहीं कर सकता’ :- सुन्नी वक्फ बोर्ड

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 12 2019 9:42PM | Updated Date: Sep 12 2019 9:42PM
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नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय में अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद को लेकर आज 22वें दिन की हुई सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि गलत बात की नजीर देकर हिन्दू पक्ष का विवादित स्थल पर मालिकाना हक साबित नहीं हो जाता। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ के समक्ष अपनी जिरह को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हिंदू पक्ष का कहना है कि 1934 के बाद वहां नमाज़ नहीं पढ़ी गई, लेकिन हकीकत यह है कि वहां मुसलमानों को जबरन घुसने ही नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि इस गैर-कानूनी कार्य की नज़ीर देकर विवादित स्थल पर हिन्दू पक्ष का मालिकाना हक साबित नहीं हो जाता।
 
इस मामले में सेवादार और ट्रस्टी दोनों अलग-अलग हैं और सेवादार कभी ज़मीन का मालिक नहीं हो सकता। इससे पहले सुनवाई के शुरू में धवन ने अपने क्लर्क को धमकी दिये जाने का मामला उठाते हुए कहा कि ऐसे गैर अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है, जिस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि धमकी जैसी गतिविधियों की वह कड़ी निन्दा करती है। धवन ने सुनवाई के शुरू में ही एक बार फिर धमकी का मामला उठाया और संविधान पीठ को बताया कि उनके क्लर्क को धमकी दी जा रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री के बयान की ओर संविधान पीठ का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि मंत्री ने कहा है, ‘‘अयोध्या हिंदुओं की है, मंदिर भी हमारा है और सुप्रीम कोर्ट भी हमारा ही है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे गैर-अनुकूल माहौल में बहस करना मुश्किल हो गया है। मैं अवमानना के बाद एक और अवमानना याचिका दायर नहीं कर सकता। हमने पहले ही 88 साल के एक व्यक्ति के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है।’’ इस पर न्यायमूर्ति गोगोई ने टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘हम ऐसे बयानों की निंदा करते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। हम इस तरह के बयानों को हम दरकिनार करते हैं।’’ मुख्य न्यायाधीश ने धवन से पूछा कि क्या उन्हें सुरक्षा की जरूरत है, इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने इतना पूछ लिया यहीं उनके लिए बहुत मायने रखता है। मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी। धवन ने न्यायालय से शुक्रवार को बहस न करने की अनुमति ले रखी है, इसलिए कल इस मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी दलीलें रखेंगे। वह इस पर जिरह करेंगे कि 1934 से 1949 तक मुस्लिम पक्ष को किस तरह से विवादित ज़मीन पर नमाज़ पढ़ने से रोका गया। 
 
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