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संचार साधनों के अभाव में स्थानीय अखबारों ने पृष्ठों की संख्या घटायी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 23 2019 12:52AM | Updated Date: Aug 23 2019 12:52AM
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में कश्मीर घाटी से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों ने संचार माध्यमों पर प्रतिबंध के कारण अपना प्रकाशन बंद कर दिया या फिर अपने समाचार पत्रों के पेजों की संख्या कम कर दी है। कश्मीर घाटी में लैंड लाइन, मोबाइल और ब्रॉडबैंड सेवा गुरुवार को लगातार अठाहरवें दिन भी प्रतिबंधित रही। संचार साधनों पर प्रतिबंधों के कारण कश्मीर घाटी में मीडिया सेक्टर को काफी नुकसान हुआ है। उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त को केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को खत्म करने के बाद से घाटी में लैंडलाइन, मोबाइल फोन और ब्रॉडबैंड सहित सभी संचार साधानों को प्रतिबंधित कर दिया था, जिसके कारण घाटी के समाचार पत्र सबसे अधिक प्रभावित हुये हैं। घाटी में दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहने के कारण सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित रहा और अधिकारियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और हड़ताल के कारण गुरुवार को 18 वें दिन के लिए सड़कों से वाहन नदारद रहे।
 
संचार साधनों पर प्रतिबंध के कारण लोगों के संकट को और बढ़ा दिया है और उन्हें घाटी से बाहर अपने परिजनों और दो से संपर्क करना मुश्किल हो रहा है। घाटी के अधिकतर अग्रेजी और उर्दू के समाचारपत्रों ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता वाले प्रस्ताव की खबर ‘ट्रंप ने एक बार फिर कश्मीर पर मध्यस्थता का प्रस्ताव किया’ हेड लाइन से गुरुवार को प्रकाशित की। एक अन्य प्रकाशन ने ‘ट्रम्प के मध्यस्थता प्रस्ताव की पेशकश’ को ‘विस्फोटक’ कश्मीर गतिरोध’’ बताया है। इसी हेड लाइन से अन्य दूसरे अंग्रेजी और उर्दू के प्रमुख अखबारों ने खबरों को प्रकाशित किया है। समाचार पत्रों ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन के हवाले से कहा कि भारत-पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए।
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