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भाखड़ा जलाशय का जल स्तर पांच फुट कम करके 1675 फुट तक लाया जायेगा :सचिव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 21 2019 4:20PM | Updated Date: Aug 21 2019 4:20PM
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चंडीगढ़। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में भागीदार राज्यों के सदस्यों का विचार है कि मानसून की विदाई को अभी एक माह पड़ा है और जलाशय स्तर को कम से कम पांच फुट तक अर्थात लगभग 1675 फीट तक लाया जाये जिससे भविष्य में बाढ़ की संभावना से निपटा जा सके और भाखड़ा बांध के झुकाव को भी नियंत्रित किया जा सके। यह जानकारी बोर्ड के सचिव तरूण अग्रवाल ने आज यहां पत्रकारों को दी । उन्होंने कहा कि बोर्ड ने पिछले चालीस वर्षों में सबसे भयावह बाढ़ को नियंत्रित जल छोड़ने की प्रक्रिया द्वारा सफलतापूर्वक सम्भाल लिया अन्यथा हालात और भी ज्यादा खराब हो सकते थे । स्थिति को बेहतर व्यावसायिक तरीके से संभाला गया और नुकसान कम से कम हो ,इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि  आज सुबह छह बजे भाखड़ा जलाशय का जलस्तर 1679.5 फुट था। हिमाचल प्रदेश में बारिश का दौर थमने से भाखड़ा बांध में अन्तर्वाह कम हुआ है फिर भी लगभग 50हजार से 60हजार क्यूसेक पानी अभी आ रहा है।
 
गत 17-18 अगस्त की मध्यरात्रि में एक अभूतपूर्व  हाइड्रोलॉजिकल घटना घटी जिसने भाखड़ा बांध के अंतर्वाह को लगभग  3,11,130 क्यूसेक बढ़ा दिया, जिससे 19 अगस्त को जलस्तर 1681.33 फुट तक पहुँच गया। यह अन्तर्वाह वर्ष 1988 से अधिक था। उन्होंने कहा कि ब्यास सतलुज ंिलक परियोजना के माध्यम से ब्यास नदी से सतलुज नदी में 8400 क्यूसेक का प्रवाह पूरी तरह से रोक दिया गया। भाखड़ा बांध का जलस्तर 1681.33 फुट तक पहुंच जाने के कारण बांध की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बोर्ड को 16 अगस्त से स्पिलवे  के माध्यम से 538 क्यूमेक (19000 क्यूसेक) नियंत्रित जल छोड़ना पड़ा  जो 19 अगस्त को शाम चार बजे बढकर 1160 क्यूमेक (41000 क्यूसेक) हो गया। यह टरबाईन के माध्यम से विद्युत उत्पादन के लिये छोड़े जाने वाले पानी से अतिरिक्त था। अग्रवाल ने बताया कि बोर्ड भाखड़ा बांध जलाशय में अन्तर्वाह की निरन्तर निगरानी कर रहा है। उसके अनुसार ही  बांध से छोड़े जा रहे पानी की समीक्षा हर घंटे की जा रही है। उल्लेखनीय है कि बोर्ड ने सतलुज नदी में अन्तर्वाह को ध्यान में रखते हुए गत मई और जून में भी अधिक पानी छोड़ा था।
 
 
मानसून की शुरूआत से पहले 25 जून तक जलस्तर को 1624.18 फुट से 1604 फुट तक लगभग 20 फुट नीचे लाया गया था । जलाशय का स्तर, अन्तर्वाह और वर्तमान स्थिति का आकलन करने के लिए कल तकनीकी समिति की एक विशेष बैठक आयोजित की गई जिसमें क्षेत्रीय निदेशक, आईएमडी ने सूचित किया कि 18 अगस्त को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर और शिमला जिलों में क्रमश: 252.5 एमएम, 147.7 एम एम, 134.7 एमएम तथा 104.8 मिलीमीटर वर्षा हुई। इन जिलों में भाखड़ा जलाशय के बहुत समीप होने के कारण जलस्तर में तेजी से वृद्धि हुई। 
 
 
बिलासपुर तथा ऊना जिलों के कैंचमैंट डाऊनस्ट्रीम में बारिश के साथ-साथ पंजाब में हुई बारिश के कारण पंजाब के क्षेत्रों में 20हजार क्सूसेक से अधिक पानी आ गया। ज्ञातव्य है कि भाखड़ा जलाशय से पानी छोड़ने का सिलसिला अभी जारी रहेगा और यह पानी सतलुज नदी के जरिये पंजाब के उन जिलों में और तबाही मचायेगा जहां -जहां सतलुज गुजरती है । अब तक करीब दो सौ गांव डूबे हुये हैं तथा फसलों को तो नुकसान हुआ सो हुआ लेकिन असहाय लोगों की हालत दयनीय बनी हुई है । कुछ लोग तो घरों की छतों पर समय गुजारने को मजबूर हैं तथा हजारों की तादाद में लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गये हैं । राज्य सरकार के राहत तथा बचाव कार्य जोरों पर हैं तथा भूखे प्यासे लोगों के लिये हेलीकाप्टरों से खाने के पैकेट फैंकने का काम जारी है। 
 

 

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