मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने सोमवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था अभी जिस मोड़ पर है वहाँ विकास की प्राथमिकता सर्वाधिक है, लेकिन दीर्घकालीन विकास के लिए वित्तीय स्थिरता काफी महत्त्वपूर्ण है। दास ने उद्योग संगठन फिक्की और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन द्वारा संयुक्त रूप से यहाँ आयोजित वार्षिक वैश्विक बैंकिंग सम्मेलन एफआईबीएसी, 2019 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुये यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तविक अर्थव्यवस्था में कारोबारी समुदाय के समक्ष आ रही चुनौतियों से हम परिचित हैं। व्यापार युद्ध, भूराजनैतिक तनावों और कई अन्य वैश्विक कारकों के कारण कई बाहरी बाधाएँ हैं। इसके अलावा घरेलू बैंकिंग तंत्र के समक्ष भी कई चुनौतियाँ हैं।’’ मौद्रिक नीति समिति के फैसलों के बारे में बताते हुये दास ने कहा कि समिति के सदस्यों ने इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया है कि विकास की प्राथमिकता सबसे अधिक है।
आरबीआई ने विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘विकास सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दा है लेकिन वित्तीय स्थिरता के मुद्दे पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दीर्घकालीन विकास सिर्फ वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता के दम पर ही संभव है।’’ उन्होंने कहा कि आज देश का बैंकिंग तंत्र आर्थिक झटकों को सह सकने में सक्षम है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का संकट कम हो गया है। उन्होंने हालांकि यह भी स्वीकार किया कि सुधारों को लागू करने का काम अभी पूरा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र बैंकिंग क्षेत्र का पूरक है और वित्तीय सेवाओं को अंतिम छोर तक पहुँचाने में मददगार होता है। आरबीआई द्वारा इस साल मुख्य नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में की गयी कटौती का लाभ आम उपभोक्ताओं को पूरी तरह नहीं मिलने के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ बैंक ब्याज दरों को रेपो रेट से जोड़ने की योजना बना रहे हैं। वे जितनी जल्दी ऐसा करेंगे, उतना ही अच्छा होगा। आरबीआई ने इस साल चार बार में रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती की है।