देहरादून। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बुधवार को 73वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदेशवासियों को बधाई दी। मौर्य 15 अगस्त को प्रात: आठ बजे राजभवन में ध्वजारोहण करेंगी। राज्यपाल ने कहा है कि 15 अगस्त का दिन भारत की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और वीर शहीदों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। उन्होंने इस अवसर पर सीमा पर शहीद हुए वीर सैनिकों तथा उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों को भी नमन किया है। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि स्वतंत्र भारत के 72 वर्षों में देश ने विभिन्न क्षेत्रों में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं।
भारत वर्ष विश्व की सर्वश्रेष्ठ सैन्य, वैज्ञानिक और आर्थिक महाशक्तियों में से एक है। राज्यपाल ने उत्तराखंड वासियों का आव्हान किया है कि वे देश के विकास में अपना शत प्रतिशत योगदान दें। उन्होंने कहा राज्य के समग्र विकास के लिए यहां के पर्वतीय क्षेत्रों के चहुँमुखी विकास पर ध्यान दिया जा रहा है। शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की मजबूती से आर्थिक विकास जुड़ा हुआ है और इसके द्वारा दूरस्थ पर्वतीय गाँवों की तस्वीर और तकदीर में सुखद बदलाव लाया जा सकता है। उत्तराखंड राज्य अपनी स्कूली शिक्षा के लिए जाना जाता रहा है। उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षा को भी उसी स्तर तक पहुंचाने की जरूरत है।
राज्य के विश्वविद्यालयों को मौलिक विश्व स्तरीय शोध हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों को रोजगारपरक बनाना भी आवश्यक है इसलिए यूनिवर्सिटी और इंडस्ट्री के मध्य संवाद को भी प्रोत्साहित किया जाना जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि किसी भी प्रगतिशील राष्ट्र एवं समाज के लिए महिलाओं का पुरुषों के समान सशक्त होना जरूरी है। इतिहास गवाह है कि देश की आजादी से लेकर उसके विकास में महिलाओं का बराबर का योगदान रहा है। उत्तराखण्ड के परिपेक्ष्य में यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है। राज्य गठन में अहम भूमिका निभाने वाली यहाँ की महिलाएं राज्य के सामाजिक तथा आर्थिक ढांचे की रीढ़ हैं।
राज्य के संतुलित सामाजिक विकास तथा राष्ट्र निर्माण के लिए महिलाओं, बच्चों और युवाओं की क्षमता, कौशल वृद्धि पर विशेष ध्यान केन्द्रित करना है। मौर्य ने कहा है कि ‘‘आइये! इस महान राष्ट्रीय पर्व का जश्न इस संकल्प के साथ मनायें कि हम सब एक ऐसी निष्पक्ष सामाजिक व्यवस्था के निर्माण में सहयोग करें जिसमें समाज के सभी वर्गों को विकास का समान अवसर मिल सके। हमें अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने से पहले देश, राज्य और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझना और निभाना होगा। हमारा यही प्रयास, स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारियों और शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’’