नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर रोजाना चल रही सुनवाई का बुधवार को छठा दिन था। आज रामलला विराजमान की तरफ से वकील सी. एस. वैद्यनाथन ने अदालत में अपने तर्क रखे। इसी दौरान एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि पर मंदिर ईसा मसीह के जन्म से 57 साल पहले बना था। वकील ने कहा कि राजा विक्रम ने अयोध्या में 368 मंदिर बनवाए, जिसमें रामजन्मभूमि पर बनाया गया मंदिर भी शामिल था।
उन्होंने अयोध्या का जीर्णोद्धार करवाया था। उन्होंने कहा कि हिंदू हमेशा से राजा विक्रम में विश्वास करते हैं, जिनके नाम पर ही विक्रम संवत कैलेंडर बनाया गया। उन्होंने ही रामजन्मभूमि पर एक मंदिर बनाया था। एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सर्वाइवर मार्टिन के स्केच में 1838 के दौरान मंदिर के पिलर दिखाए गए थे।
वैद्यनाथन ने कहा कि हिंदुओं का मानना है कि मुगलों के द्वारा मंदिर को तोड़ा गया। उन्होंने कहा कि यूरोप के इतिहास में तारीखों का जिक्र अहम है, लेकिन हमारे इतिहास में घटना महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि अयोध्या मसले की सुनवाई 5 अगस्त से रोजाना हो रही है। यानी हफ्ते में पांच दिन ये मामला अदालत में सुना जा रहा है। अभी तक निर्मोही अखाड़ा अपने तर्क रख चुका है और रामलला विराजमान की तरफ से दलीलें दी जा रही हैं। बुधवार की सुनवाई में वकील वैद्यनाथन ने कई पुराणों का जिक्र किया, साथ ही स्कन्द पुराण का किस्सा भी बताया।
उन्होंने स्कन्द पुराण का जिक्र करते हुए रामजन्मभूमि और सरयू नदी के इतिहास को भी अदालत में बताया। रामलला के वकील के तर्कों पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की ओर से भी सख्त सवाल पूछे गए। जस्टिस बोबडे ने पूछा कि इस जगह को बाबरी मस्जिद कब से कहना शुरू किया गया? उन्होंने पूछा कि इसका क्या सबूत है कि बाबर ने ही मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। क्या इसका कोई सबूत है कि मंदिर को बाबर या उसके जनरल के आदेश के बाद ही ढहाया गया था।