लखनऊ। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा परीक्षा शुल्क में बढ़ोत्तरी को जातिवादी एवं गरीब विरोधी निर्णय करार देते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने इसे वापस लेने की मांग की है। मायावती ने इस सिलसिले में मंगलवार को एक के बाद एक दो ट्वीट किये। उन्होने कहा ‘‘ अभी हाल ही में सीबीएसई ने 10वीं व 12वीं के लिये परीक्षा शुल्क में जो 24 गुना तक बढ़ोतरी की है, जिसके तहत अब एस.सी.-एस.टी. छात्रों को 50 रुपये के बजाय 1200 रुपये देने होंगे।
दूसरे ट्वीट में बसपा अध्यक्ष ने लिखा ‘‘इसी ही प्रकार सामान्य वर्ग के छात्रों के शुल्क में भी दोगुनी वृद्धि की गई है। यह अति दुर्भाग्यपूर्ण, जातिवादी व गरीब विरोधी फैसला है। सीबीएसई इसे तुरन्त वापिस ले। बसपा की यह माँग है। गौरतलब है सीबीएसई ने 2020 की 10वीं और 12वीं परीक्षा के लिए फीस में भारी वृद्धि की है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की श्रेणियों के विद्यार्थियों के लिए तो ये तीन गुना बढ़ोत्तरी बताई गई है।
बोर्ड की दलील है कि पांच साल बाद फीस बढ़ाना जरूरी हो गया था क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाएं संचालित करने से होने वाली उसकी सरप्लस कमाई अब घट गई है। सामान्य वर्ग वाले छात्रों को जहां 750 की जगह अब 1500 रुपये फीस देनी होगी वहीं एससी-एसटी वर्ग के छात्रों को 350 की जगह 1200 रुपये देने होंगे। माइग्रेशन शुल्क भी 150 रुपये से बढ़ाकर 350 रुपये कर दिया गया है। विदेशों में स्थापित सीबीएसई स्कूलों के छात्रों को अब 5000 की जगह 10 हजार रुपये देने होंगे।