25 Apr 2024, 11:04:30 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

धर्मवीर भारती के कहने पर हिन्दी में लिखना शुरू किया- पद्मा सचदेव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 13 2019 12:05AM | Updated Date: Jun 13 2019 12:05AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। डोगरी की मशहूर लेखिका पद्मा सचदेव ने बुधवार को कहा कि उन्होंने बचपन में लोकगीतों की मिली प्रेरणा से लिखना सीखा पर वह चर्चित  लेखक और धर्मयुग के संपादक धर्मवीर भारती से हिन्दी में लिखने के लिए प्रेरित हुईं। सचदेव ने यहाँ साहित्य अकादमी का फेलो बनाये जाने पर अपने भाषण में यह बात कही। साहित्य अकादमी के अध्यक्ष एवं सुप्रसिद्ध  नाटककार  चंद्रशेखर कम्बार ने उन्हें यह सर्वोच्च सम्मान प्रदान किया। उन्होंने कहा कि वह साहित्य अकादमी का यह सर्वोच्च सम्मान पाकर गद-गद हैं। साहित्य अकादमी से उनकी पहचान उस समय के बहुचर्चित कवि और अकादमी के सचिव प्रभाकर माचवे ने करवाई थी।

जब उन्हें उनकी कविता की पहली पुस्तक ‘मेरी कविता मेरे गीत’ पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला तो वह सातवें आसमान पर थी और उस समय उन्हें यह विश्वास नहीं हुआ कि उन्हें यह सम्मान मुल्कराज आनंद, नामवर सिंह और रशीद अहमद सिद्दीकी के साथ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि वह बचपन से डोगरी लोकगीत सुनकर चमत्कृत हो जाती थीं। कौन है जो उन्हें लिखता है? कौन से आसमान में रहता है। उन्होंने कहा, ‘‘दस बारह साल से ही छंद जोड़ने लगी थी। अपने गाँव में रहकर लोक गीतों को करीब से जाना।

कविता अपने आप आती है। गद्य को लाना पड़ता है। पहले सिर्फ डोगरी में लिखती थी लेकिन भारती जी के कहने पर हिन्दी में लिखना शुरू किया। लिखते लिखते जिन्दगी से भर गयी।’’ उन्होंने अंत में अपनी एक कविता का अंश सुनाया - दिन निकला या समाधि योगी ने खोली है, ‘‘शाम घिरती आयी या कोई डोली गली में से निकली’’  कोई कोयल कुंहकी या कोई बच्चा हंसा, या कोई गली में से डोगरी बोलता हुआ चला गया।

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »