लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता के दम पर सियासी दंगल को जीतने का प्रयास कर रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को तीसरे चरण में ‘यादव परिवार’ की मजबूत चुनौती का सामना करना पड़ेगा जबकि इस चुनाव के जरिये अपनी खोई जमीन वापस पाने में जुटी कांग्रेस दोनो ही दलों के राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर कर सकती है। तीसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों के लिये मतदान 23 अप्रैल को होगा।
समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव, उनके भतीजे धमेन्द्र यादव और अक्षय यादव के अलावा पार्टी महासचिव मोहम्मद आजम खां की प्रतिष्ठा का इम्तिहान इसी चरण में होगा वहीं भाजपा के कद्दावर नेता और राज्यपाल कल्याण सिंह के प्रभाव को भी परखा जायेगा। वर्ष 2014 में भाजपा ने 10 में से सात सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि मोदी लहर के बावजूद यादव परिवार के तीनों सदस्यों ने जीत का परचम लहराया था।
पिछले लोकसभा चुनाव में सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के अलग अलग मैदान में होने के चलते दलित और अल्पसंख्यक वोटों के बंटने के कारण भाजपा की राह बेहद आसान हो गई थी जबकि इस बार दोनो ही दल साथ मिलकर चुनाव मैदान में है। इस चरण में दस में नौ सीटों में सपा के उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं जबकि एक पर बसपा प्रत्याशी मैदान में है। तीसरे चरण में मुरादाबाद, रामपुर, संभल, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला, बरेली और पीलीभीत सीट पर वोट डाले जाएंगे।
मुरादाबाद में भाजपा के मौजूदा सांसद कुंवर सर्वेश सिंह का मुख्य मुकाबला सपा के डॉ. एसटी हसन से है हालांकि मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस के इमरान प्रतापगढ़ी गठबंधन का खेल बिगाड़ सकते है। जातीय समीकरणों की बात करें तो मुरादाबाद में छह लाख से ज्यादा मुस्लिम मतदाता है जबकि दलित मतदाताओं की तादाद करीब ढाई लाख है। इसके अलावा राजपूत, सैनी, जाट और ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका अदा कर सकते है।