पुरुलिया। पश्चिम बंगाल की राजनीतिक रूप से संवेदनशील पुरुलिया लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस की हार ‘पक्की’ है और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट (माकपा) समर्थकों की इसमें एक निर्णायक भूमिका होगी। माकपा के एक वरिष्ठ नेता ने रविवार को यहां यह बात कही। पार्टी की पुरुलिया इकाई के महासचिव निलोय मुखर्जी ने कहा, ‘‘मतदाता आखिरकार यह फैसला लेंगे कि कौन जीत सकता है और तृणमूल सांसद मृगांका महतो को हटा सकता है।
लेकिन तृणमूल की पुरुलिया में हार पक्की है।’’ वरिष्ठ माकपा नेता ने यूनीवार्ता के साथ बातचीत में कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के शासन और केंद्र की मोदी सरकार के बीच विशेष तौर पर समानता है और दोनों की आर्थिक नीतियों के कारण बंगाल और देश भर के किसान दुखी हैं। उन्होंने केन्द्र और राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दोनों सरकारें किसानों के हितों में फैसला करने में विफल रही हैं। ‘‘ वास्तव में दोनों सरकारों के प्रस्ताव केवल कहने भर के लिए रहे हैं।
मोदी सरकार की किसान योजना और ममता बनर्जी की कृषक बंधु योजना किसानों की समस्याओं को कम करने के मामले में कुछ भी नहीं हैं।’’ उन्होंने यह भी कहा कि वाम दलों ने इसे पश्चिम बंगाल और पुरुलिया में मुद्दा बनाया है और आंकड़ों के अनुसार पुरुलिया में वर्ष 2014 और 2017 के बीच - सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में कम से कम 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षो में साम्प्रदायिक हिंसा में 40 लोगों की मौत हुयी और 9000 से ज्यादा लोग घायल हुये।