नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में प्रदूषण मामले की सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के लोगों की जिंदगी उद्योगों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक रिपोर्ट का हवाला देकर बताया गया कि 60 हजार लोग प्रदूषण के कारण मरे हैं। 1985 में एमसी मेहता की ओर से अर्जी दाखिल कर राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तब खिंचाई की जब मंत्रालय ने जवाब देने के लिए वक्त मांगा। अदालत ने कहा कि लगता है कि आप पेट कोक को इजाजत देने में काफी जल्दी में लगते हैं। क्या पिछली बार आपने पेट कोक के आयात से पहले स्टडी की थी?
सरकार क्या कर रही है?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अखबार की रिपोर्ट कहती है कि 60 हजार लोग प्रदूषण के कारण मरे हैं। आप क्या कर रहे हैं? लोग शहर में प्रदूषण के कारण मर रहे हैं। आपको पता भी नहीं है कि रिपोर्ट सही है या नहीं? सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि हम एक बात साफ करना चाहते हैं कि देश की जनता इंडस्ट्रीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है। कोर्ट सलाहकार अपराजिता सिंह ने कहा कि मिनिस्ट्री आॅफ पेट्रोलियम ऐंड नेचरल गैस ने भी पेट कोक के बैन को सही ठहराया है। सुप्रीमकोर्ट ने वन और पर्यावरण मंत्रालय से कहा है कि वह ईपीसीए के साथ मीटिंग करे और बताए कि एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट क्या है।
केंद्र से 30 जून तक फैसला लेने को कहा था
10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह पेट कोक के आयात पर बैन के लिए 30 जून तक फैसला ले। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह नैशनल क्लीन एयर प्रोग्राम को पहले दिल्ली में लागू करे क्योंकि दिल्ली के लोग प्रदूषण के कारण समस्याओं का सामना कर रहे हैं। देश भर में 100 शहरों में एनसीएपी के जरिये वायु प्रदूषण से निपटना है। सुप्रीमकोर्ट ने सरकार से कहा था कि आपके पास कई प्रोग्राम है लेकिन आपने उसे लागू नहीं किया। आप प्रदूषण से निपटने के लिए प्रोग्राम लागू कर नहीं रहे और आप पैन इंडिया की बात कर रहे हैं पहले आप एनसीएपी तो लागू करें।