चेन्नई। अन्नाद्रमुक प्रमुख जयललिता को राज्यपाल के रोसैया ने सोमवार को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलाई। जयललिता ने लगातार दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली। इस तरह वह छठी बार सीएम बनी हैं।
तमिलनाडु में 32 सालों की परंपरा इस बार टूट गई जब अन्नाद्रमुक ने लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की। राज्य में हर विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी के हारने की परंपरा रही है। उनके साथ 28 विधायक भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली।
गौरतलब है कि जयललिता ने छठीं बार और लगातार दूसरी बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनके साथ 28 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की है। जयललिता के लिए चेन्नई सभागार का विशेष महत्व है क्योंकि उन्होंने पहली बार 24 जून 1991 को यहीं मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। तत्कालीन राज्यपाल भीष्म नारायण सिंह ने उन्हें शपथ दिलायी थी।
68 साल की जयललिता ने अपने चौथे कार्यकाल के लिए शपथ ली है। उनका पहला कार्यकाल 1991 से 96 के बीच था जबकि दूसरा कार्यकाल 2001 से 2006 और तीसरा 2011 से 2016 के बीच रहा। तांसी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के कारण वह सितंबर 2001 से करीब छह महीने तक पद से दूर रही थीं। 29 सितंबर 2014 से 22 मई 2015 के बीच एक बाद फिर वह पद से दूर रहीं।
इस बार भ्रष्टाचार के एक मामले में बेंगलुरू की एक अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के कारण उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। बाद में कर्नाटक उच्च न्याायालय ने उस फैसले को खारिज कर दिया था। जयललिता के नेतृत्व में अन्नाद्रमुक ने द्रमुक-कांग्रेस गठबंधन को परास्त करते हुए 134 सीटें जीतीं, जो 234 सदस्यीय विधानसभा में जादुई आंकड़े से 16 ज्यादा है। दो विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव 23 मई के लिए टाल दिया गया। हालांकि पार्टी को बहुमत मिल गया है।
अन्नाद्रमुक के प्रदर्शन में पिछली बार की तुलना में गिरावट आयी है। 2011 के चुनाव में पार्टी ने 150 सीटें जीती थीं। हालांकि 1984 के बाद से तमिलनाडु में पहली बार सत्तारूढ़ पार्टी को जनता ने सत्ता में वापसी का टिकट दिया है।