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सेवा और साधना से ही विकार दूर हो सकते है: श्रीश्री रविशंकर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 8 2015 11:56PM | Updated Date: Oct 8 2015 11:56PM
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जयपुर। ‘आर्ट आफ लिविंग’ के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि सेवा, साधना, सत्संग अपने जीवन के धार बन जाये तो जितने विकार हमारे समाज है वे दूर किये जा सकते है।

श्रीश्री रविशंकर ने आज यहां ‘हिन्दू स्प्रिच्यूल एंड सर्विस फेयर’ में कहा कि आज देश में शराब की नदी बह रही है। लोग नशे से जूझने में लगे हैं। इन सबसे हमें मुक्ति पाना हो तो सेवा में सबको लगना पडेगा।

उन्होंने कहा कि, आठ साल पूर्व तमिलनाडु में भी इस सेवा का जन्म हुआ और चलते चलते आज जयपुर पहुंची है और यह सेवा पूरे देश में घूमेंगी क्योंकि अब साधन बडे हो गये। इस सेवा से देश में एक नई चेतना का जन्म हो रहा है और इसको बढावा देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिस प्रकार श्रीमदभागवत में उल्लेख है कि भक्ति का जन्म तमिलनाडु में हुआ, कर्नाटक में बडी हुई और गुजरात में बढ़ी थी। उन दिनों में भक्ति को तमिलनाडु से गुजरात आने में इतना समय लग गया लेकिन आज तमिलनाडु से जयपुर आने में सेवा को इतना समय नहीं लगा।

उन्होंने कहा कि हमारे बहुत चेहरे होते है लेकिन हमारी आवाज एक है ‘वसुधैव कुटुम्बकम’। उन्होंने कहा कि भारत में जितने संताश्रम है वो सब अनमोल मोती है जरूरत है इन सब को एक सूत्र में बांधने की और यह फेयर के जरिये उस सूत्र को बांधने का कार्य हुआ है।

उन्होंने कहा कि सेवा के पीछे उद्देश्य अपनी बढाई करना नहीं होना चाहिए बल्कि दूसरों को प्रेरणा देने का होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बडे लोग जिन पद चिन्हों पर चलते है सभी लोग उन्ही का अनुकरण करते है।

उन्होंने कहा कि यदि भगवान कृष्ण अर्जुन को विश्व रूप का दर्शन नहीं कराते तो अर्जुन दुखी हो जाता। उसके बाद उसके अंदर चेतना जागी। प्रेरणा जागी कुछ करने के लिये इस लिये प्रेरणादायक युवा शक्ति देश में जागे इसी कारण से भी सेवा की आवश्यकता है और इस प्रदर्शनी के जरिये एक लाखों लोग जुडेंगे। जारी भाषा कुंज अनिल जयपाल सेन प्रादे199



 

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