गांधीनगर। भारत तथा भारतीय उपमहाद्विप के अन्य देशों में पाये जाने वाले हाथी को विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके प्रवासी जीवों की सूची में आज शामिल कर लिया गया। प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (सीएमएस) के सदस्य देशों की यहां हो रही 13वीं बैठक में भारत की ओर से पेश इस प्रस्ताव को निर्विरोध मंजूरी दे दी गयी। श्रीलंका, बंगलादेश और यूरोपीय संघ के साथ ही स्वयं सेवा संस्थाओं ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया। किसी भी देश या संस्था ने इसका विरोध नहीं किया।
भारत ने बैठक के पहले दिन 17 फरवरी को एशियाई हाथी को सीएमएस के एपेंडिक्स—1 में शामिल करने का प्रस्ताव किया था। इस सूची में उन जीवों को शामिल किया जाता है जिनके विलुप्त होने का खतरा होता है। इस समय दुनिया के 13 देशों में करीब 50 हजार हाथी हैं। इनमें 30 हजार भारत में हैं। इस सूची में शामिल होने के बाद सभी सदस्य देशों के लिए उस प्रजाती के जीवों का संरक्षण अनिवार्य हो जाता है। श्रीलंका ने कहा कि हालांकि उसके यहां एशियाई हाथियों की संख्या पर्याप्त है, इसके बावजूद वह इसका समर्थन करता है। बंगलादेश ने कहा कि एकीकृत प्रयास के जरिये इंसान और हाथियों के बीच संघर्ष कम करने का प्रयास करना चाहिये।