प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में शाहजहांपुर की विधि छात्रा से दुराचार के मामले की मानीटरिंग कर रही इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आरोपी स्वामी चिन्मयानंद की याचिका मे पक्षकार बनाने की अर्जी खारिज कर दी है। न्यायालय ने कहा है कि विवेचना कर रही एसआईटी ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। न्यायालय मुकदमे की सुनवाई कर रही है। पक्षकार बनने की अर्जी अर्थहीन हो चुकी है। न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा है कि वह पीड़तिा और परिवार की सुरक्षा एवं एक मामले मे जरूरी आदेश पारित करने के लिए मानीटरिंग कर रही है। वहीं दूसरी ओर दुष्कर्म मामले में आरोपी पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद ने उच्च न्यायालय में पेरोल के लिए अर्जी दाखिल की है।
चिन्मयानंद की नियमित जमानत पर फैसला सुरक्षित है। फैसला आने में हो रहे विलंब के चलते उन्होंने पेरोल अर्जी दाखिल कर कुछ समय के लिए जेल से रिहा किए जाने की मांग की है। अर्जी में चिन्मयानंद के खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर कहा गया है कि इनको इलाज कराने के लिए कुछ समय के लिए जेल से रिहा किया जाए अर्जी पर 27 जनवरी को सुनवाई होने की संभावना है । गौरतलब है कि एलएलएम छात्रा से दुष्कर्म करने के आरोपी चिन्मयानंद लंबे समय से जेल में बंद है। उनकी जमानत सेशन कोर्ट से खारिज हो चुकी है। उच्च न्यायालय में दाखिल जमानत अर्जी पर 16 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। फैसला अभी आया नहीं है। इस बीच रिहाई की मांग को लेकर के उन्होंने यह अर्जी दाखिल की है।