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नेताजी को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के छात्रों ने किया याद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 23 2020 7:05PM | Updated Date: Jan 23 2020 7:05PM
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झांसी। महान स्वतंत्रता सेनानी  नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 123वीं जयंती पर गुरूवार को उत्तर प्रदेश में झांसी स्थित बुंदेलखंड विश्वविद्यालय  के छात्रों ने  आजादी में उनके योगदान और देश के प्रति समर्पण को श्रद्धापूर्वक याद किया। विश्वविद्यालय परिसर स्थित जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान में  आयोजित विशेष कार्यक्रम  वक्ताओं ने विद्यार्थियों का आभान किया कि वे नेताजी सुभाषचंद्र बोस के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेकर देश और समाज को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास करें। कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए शिक्षक उमेश शुक्ल ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जीवन के विविध प्रसंगों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।

नेताजी का पूरा जीवन युवाओं के लिए प्रेरक है। उन्होंने विद्यार्थियों से नेताजी के देश प्रेम, अनुशासन और त्याग की भावना को जीवन में आत्मसात करने आभान किया। शुक्ल ने बताया कि सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था। वे बचपन से अद्वितीय प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे। नेताजी ने न सिर्फ देश की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजी सेना को खुली चुनौती दी।उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज का गठन किया था। देश को आजादी दिलाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। नेताजी ने ही जय हिंद का नारा दिया जो कालांतर में राष्ट्रीय नारा बन गया हैं। इस दौरान  शिक्षक राघवेंद्र दीक्षित ने नेताजी के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी। दीक्षित ने नेताजी के नारे तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का भी जिक्र किया और विस्तार से उनके विचारों पर चर्चा करते हुए कहा कि नेताजी मानते थे कि यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं।

हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिलेगी, हमारे अंदर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए। एक बार उन्होंने यह भी कहा था कि आज हमारे अंदर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके। एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशस्त हो सके। इसके बाद विद्यार्थियों अभिजीत शुक्ल, आकर्ष मिश्र, प्रियांशु संखवार ने नेताजी के व्यक्तित्व के विविध पहलुओं को रेखांकित किया। यह कार्यक्रम संस्थान के पूर्व समन्वयक डा. सीपी पैन्यूली की अध्यक्षता और संस्थान के समन्वयक डा. कौशल त्रिपाठी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जय सिंह, अभिषेक कुमार, डा. उमेश कुमार, सतीश साहनी और नरेंद्र शर्मा समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।

 
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