नई दिल्ली। निर्भया कांड के दोषियों को जल्दी फांसी पर लटकाये जाने की मांग के बीच दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने सोमवार को कहा कि इस मामले में पुलिस ने 10 दिन के भीतर आरोपपत्र दाखिल कर दिया था और यदि अदालत में सुनवाई सात साल लग गए तो इसमें पुलिस का कोई दोष नहीं है। कुमार ने आजतक चैनल के ‘ एजेंडा आजतक ’ के सोमवार को आठवें संस्करण के पहले सत्र में कहा कि निर्भया कांड यह दर्शाता है कि आखिर बलात्कार जैसे जघन्य मामले में भी न्याय में देरी किस तरह से होती है। उन्होंने ‘ देर है, तो अंधेर है’ सत्र को संबोधित करते हुये यह बात कही। इस सत्र को न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) उषा मेहरा, तिहाड़ जेल के पूर्व विधि अधिकारी सुनील गुप्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता जॉन दयाल ने भी संबोधित किया।
पूर्व पुलिस आयुक्त ने कहा,‘‘ निर्भया केस एक टेस्ट है, यह जांचने का कि न्यायिक प्रक्रिया में देरी क्यों हो रही है और क्या हम इसे और जल्दी कर सकते हैं। निर्भया मामले में पुलिस ने 10 दिन के भीतर आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। ट्रायल में यदि सात साल लग गए तो हमारा दोष नहीं है। कोई ऐसा दिन नहीं था, जब अदालत ने बुलाया और पुलिस वहां नहीं पहुंची हो। इस केस में जब सब कुछ ठीक है तो फिर इतना समय क्यों लग रहा है?’’मेहरा ने कहा कि कई बार प्राथमिकी दर्ज कराने में छह महीने का समय लग जाता है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने पुलिस की जांच और अभियोग शाखा को अलग करने का सुझाव दिया था। पुलिस के पास ऐसे वैन होने की सलाह भी दी गई थी जिसमें वैज्ञानिक उपकरण और फॉरेंसिक जांच आदि की सुविधा हो। उन्होंने कहा कि संभवत ऐसा वैन तैयार भी किया गया लेकिन इसका कहां इस्तेमाल हो रहा पता नहीं है। बलात्कार पीड़ति की जांच सामान्य अस्पताल में नहीं कराये जाने पर जोर देते हुए मेहरा ने कहा इसके लिए एक अलग इकाई हो और विशेषज्ञ डाक्टर और विशेषज्ञ नर्स जांच करे।