भोपाल। मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेन्द्र सिंह राठौर ने आज कहा वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) में पंजीयन के लिए करदाताओं के वार्षिक टर्नओव्हर की सीमा बढाकर 40 लाख कर दी गयी है। राठौर ने अपने विभाग की एक वर्ष की उपलब्धियां गिनाते हुए पत्रकारों से चर्चा में कहा कि एक जुलाई 2019 से जीएसटी में अनिवार्य पंजीयन के लिये करदाताओं की वार्षिक टर्नओव्हर सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि वेट अधिनियम में 2 लाख 90 हजार 4 सौ 57 पंजीबद्ध करदाता एक जुलाई 2017 को जीएसटी में माइग्रेट हुए थे, जिनकी संख्या बढ़कर अब 4 लाख 17 हजार 4 सौ 62 हो गई है। अप्रैल 2019 के बाद से अब तक जीएसटी में 41 हजार 1 सौ 36 नये पंजीयन जारी किये गये हैं।
मंत्री राठौर ने बताया कि डेढ़ करोड़ तक वार्षिक टर्नओव्हर वाले छोटे निर्माता करदाताओं को कम्पोजिशन की सुविधा का विकल्प दिया गया है, जिसमें उन्हें हिसाब रखने से छूट दी गई है। त्रैमासिक कर चुकाने और वार्षिक विवरणी की सुविधा देने के लिये जीएसटी के नियमों में आवश्यक संशोधन किये गये हैं। सभी करदाताओं को प्रतिमाह वापसी के आवेदन प्रस्तुत करने की सुविधा दी गई है। उन्होंने कहा कि अब करदाता गलती से कर की राशि किसी अन्य हेड में जमा होने पर वापसी के लिये स्वयं ही उसे सही हेड में ट्रांसफर कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष में लगभग 22 करोड़ 30 लाख रुपये राजस्व अर्जित किया गया है।
जीएसटी लागू होने के बाद इसमें समाहित मालों पर वर्ष 2015-16 में प्राप्त राजस्व के आधार पर प्रतिवर्ष 14 प्रतिशत की वृद्धि दर से क्षतिपूर्ति देने का प्रावधान किया है। राठौर ने बताया कि इस दौरान रिटर्न कम्प्लाइंस का प्रतिशत भी 81 से बढ़कर 90 हो गया है। मात्र एक साल में 8 हजार 8 सौ 07 रिफण्ड आवेदन में से 8 हजार 2 सौ 08 का निराकरण किया गया और क्लेम राशि 529 करोड़ में से 427 करोड़ की वापसी स्वीकार की गई। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जीएसटी प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के समक्ष मध्यप्रदेश का 3008.98 करोड़ के लॉस कम्प्नसेशन क्लेम का भुगतान लंबित है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने जीएसटी कॉउंसिल की प्रत्येक बैठक में प्रदेश के पक्ष को मजबूती से रखा है। लंबित लॉस कम्पनसेशन क्लेम जारी करने के लिये हाल ही में केन्द्रीय वित्त मंत्री से मिलकर विशेष आग्रह किया गया है।