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आउटसोर्सिग की भर्तियों पर उच्च न्यायालय सख्त

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Dec 14 2019 7:06PM | Updated Date: Dec 14 2019 7:06PM
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लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने आउटसोर्सिग से की जा रही भर्तियों के मामले में फिर से सरकार को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि प्रदेश में कोई भर्ती ना की जाय । न्यायालय ने कहा कि अंतरिम आदेश के बाद कोई भर्ती नहीं हुई इसका हलफनामा भी अगली सुनवाई पर दिया जाय । अदालत ने सरकार को प्रतिशपथ पत्र पेश करने के लिए अंतिम मौका दिया है । पूरे प्रदेश के सरकारी विभागों में स्वीकृत पदों पर हो रही आउटसोर्सिंग भर्तियों पर लगी रोक के मामले में जवाब देने के लिए सरकार की ओर से फिर एक सप्ताह के समय की फिर से मांग की गई थी ।
 
न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी व न्यायमूर्ति विकास कुँवर श्रीवास्तव की पीठ ने याची मेसर्स आर एम एस टेक्नोसलूशन लिमिटिड की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिए । सुनवाई के समय याची की ओर से आरोप लगाया गया कि अदालत  द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद भी धड़ल्ले से आउटसोर्सिग की भर्ती की जा रही हैं ।  अदालत ने जानना चाहा है  कि वर्ष 2006 में उच्चतम न्यायालय के उमादेवी केस के बाद सरकारी विभागों व निगमो आदि में स्वीकृत पदों के सापेक्ष आउटसोर्सिग से संविदा भर्ती कैसे की जा रही है और यह भर्ती किस नियम से हो रही है । याची ने याचिका दायर कर मांग की है कि सरकार ने उसका रजिस्ट्रेशन खारिज कर दिया है जिसे बहाल किया जाए।  अदालत ने इस मुद्दे को स्वत: संज्ञान लिया है।
 
अदालत ने राज्य सरकार से पिछली तारीख पर जानकारी मांगी थी  कि आउट सोर्सिग से नियमित पदों के सापेक्ष संविदा या कांट्रैक्ट पर क्यों और कैसे भर्तियां हो रही है । सुनवाई के समय यह कहा गया था कि उच्चतम न्यायालय के उमा देवी के केस के बाद यह स्वीकृत पदों के सापेक्ष भर्ती हो रही है अथवा कोई अन्य आवश्यकता के अनुरूप पदों पर भर्ती की जा रही है । इस बात का स्पस्टीकरण भी सरकार से अदालत ने मांगा है । सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में सरकार जल्द ही नीति बना रही है और शीघ्र ही भर्ती की नीति बन भी जाएगी । पिछले आदेश से अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए पूरे प्रदेश में मैनपवारसप्लाई से सरकारी दफ्तरों में भर्तियों पर रोक लगा दी थी जो अभी तक जारी है।  मामले की अगली सुनवाई सात जनवरी को होगी । 
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