नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने संविधान के मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता दोहराते हुए शुक्रवार को कहा कि संविधान किसी को भी किसी भी राज्य को खत्म करने का अधिकार नहीं देता है। शर्मा ने राज्यसभा के 250 वें सत्र के अवसर पर ‘‘ भारतीय शासन व्यवस्था में राज्य सभा की भूमिका और सुधारों की आवश्यकता पर विशेष चर्चा’’ में हिस्सा लेते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने संविधान के मूल्यों और उसकी मूल भावना की ओर लौटने का आवान करते हुए कहा कि संघीय ढ़ांचा और संसदीय शासन प्रणाली आकस्मिक घटना नहीं थी बल्कि यह आजादी के लंबे संघर्ष का परिणाम थी। कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन और इसके बाद हरिपुरा अधिवेशन में संविधान की मूल भावना और मूल्यों की स्थापना की गयी।
उन्होंने कहा कि वास्तव में भारत की विविधता के संरक्षण के लिए संघीय ढ़ांचे और संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया। उन्होने जम्मू कश्मीर के विभाजन और राज्य के संबंध में अन्य घटनाक्रम का उल्लेख किये बिना कहा कि संविधान किसी को भी किसी भी राज्य को खत्म करने का अधिकार नहीं देता है। हालांकि राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन किया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने संविधान के विभिन्न प्रावधानों का उल्लेख भी किया। शर्मा ने कहा कि संसद को कोई भी कानून जल्दबाजी में नहीं बनाना चाहिए। यह हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि कोई भी कानून देश के 134 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित करता है। सदन का कर्तव्य और अधिकार है कि प्रत्येक विधान पर गंभीरता और तसल्ली से विचार होना चाहिए।