नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने लोगों को मोटापे से सचेत करते हुए कहा है कि आधुनिक जीवन शैली के कारण देश मे यह एक रोग की तरह तेजी से बढ़ता जा रहा है और पिछले कुछ वर्षों में इसके मरीजों की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है जो बहुत चिंताजनक है। यही नहीं स्कूली बच्चे भी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। इन विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि अब मोटापे को दूर करने के लिए भारत में दो दवाइयां आ गयी है और मोटापे से निजात पाने के लिए सर्जरी कराने में कोई खतरा नहीं है।
एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर नवल. के. विक्रम ,डॉ पीयूष रंज, सर्जरी विभाग के डॉ सन्दीप अग्रवाल, अंत:स्राव तंत्र विभाग के डॉ राजेश खडागवत और फेफड़ा एवं अनिद्रा विभाग के डॉ विजय हड्डा ने मोटापे की रोकथाम के लिए आयोजित जन जागरण व्याख्यान कार्यक्रम के मौके पर पत्रकारों के साथ बातचीत में यह जानकारी दी। इन डॉक्टरों ने यह भी कहा कि मोटापे के खतरे को देखते हुए अब स्कूल के पाठ्यक्रम में इसे पढ़ाये जाने की जरूरत है ताकि भविष्य की पीढ़ी स्वस्थ रह सके क्योंकि मोटापा सभी रोगों की जड़ है।
यह जानलेवा भी हो सकता है। उनका कहना है कि अगर इसी गति से बच्चे मोटे होने लगे तो देश की उत्पादकता पर असर बढ़ेगा। पहले अमीर देशों में मोटापा अधिक होता था और विकासशील देशों में यह समस्या नहीं थी लेकिन अब भारत में भी यह समस्या तेजी से फैल रही है। एम्स में मोटापे की समस्या को लेकर पहले जितने मरीज आते थे, उनकी संख्या कुछ वर्षों में दोगुनी हो गयी है।