अजमेर। राजस्थान के पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में लगातार छेड़छाड़ करके शिक्षा का राजनीतिकरण कर रही है। देवनानी ने आज जारी बयान में शिक्षा राज्यमंत्री गोविंदसिंह डोटासरा द्वारा दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कहा कि एनसीईआरटी पूरे देश के परिप्रेक्ष्य में पाठ्यक्रम बनाती है। इसी को ध्यान में रखते हुए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में देश और प्रदेश के महापुरूषों की जीवनी और उनसे जुड़े विषयों को पाठ्यक्रमों में शामिल किया था। उन्होंने कहा कि डोटासरा यह कहते हैं कि किताबों में आजादी के बाद का आंदोलन पढ़ाया जाएगा, इस पर देवनानी ने डोटासरा से सवाल किया कि जब आजादी के बाद का आंदोलन पढ़ाया जा सकता है, तो आजादी के पहले के आंदोलन के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी देने से परहेज क्यों किया जा रहा है।
देवनानी ने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ भीमराव अम्बेडकर और वीर सावरकर जैसे महापुरूषों की जीवनी को पाठ्यक्रमों में जोड़ा है, लेकिन कांग्रेस सरकार इन महापुरूषों की जीवनी से भावी पीढ़ी को अनभिज्ञ रखना चाहती है। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में राजस्थान की ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक आदि की जानकारी देने के लिए इन विषयों में शामिल किया था, लेकिन अब कांग्रेस सरकार इन सभी को पाठ्यक्रमों से अलग करना चाहती है, जो विद्यार्थियों के लिए किसी भी स्थिति में अनुकूल नहीं होगा।
उन्होंने डोटासरा के इस बयान को हास्यास्पद बताया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने जो पाठ्यक्रम बनाया था, वह आरएसएस के स्वयंसेवक तैयार करने वाला था, लेकिन अब कांग्रेस सरकार आरएसएस नहीं, आरएएस बनाएगी। इस पर देवनानी ने डोटासरा से सवाल किया कि डोटासरा और कांग्रेस सरकार को आरएसएस का इतना फोबिया क्यों है। जबकि आरएसएस तो राष्ट्रवाद की बात करता है, लेकिन कांग्रेस और उसके नेता तो महज एक परिवार की बात करते हैं।
उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम में बदलाव करने के लिए कांग्रेस सरकार ने जो कमेटी बनाई थी, उसमें राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े लोगों को ही शामिल किया था। इससे कांग्रेस सरकार की मंशा साफ जाहिर हो जाती है कि वह पूरी तरह शिक्षा का राजनीतिकरण और कांग्रेसीकरण करने पर तुली हुई है, जबकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने ऐसा कभी नहीं किया था और विद्यार्थियों को देश एवं प्रदेश की जानकारी देने वाले विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया था।