नई दिल्ली। ‘तेंदुलकर’ उपनाम से काफी उम्मीदें रहती हैं लेकिन महान क्रिकेट खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का कहना है कि उनके बच्चों अर्जुन और सारा-को उनकी उपलब्धियों के आधार पर परखना अनुचित है।
दुनिया के महानतम क्रिकेट खिलाड़ियों में शुमार तेंदुलकर का कहना है कि पांच वर्ष की उम्र में ही उन्हें इस खेल से प्यार हो गया जबकि उनकी बहन ने उन्हें पहला बल्ला दिया था और उनके पिता हमेशा उत्साहवर्द्धन करते थे।
सचिन ने एक इंटरव्यू में बताया, मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चों को उनकी काबिलियत से परखा जाए। मुझे अपनी अभिव्यक्ति और अपने सपने पूरे करने का अधिकार था। वैसा ही मैं अपने बच्चों के लिए चाहता हूं। यह कहना उचित नहीं है कि मेरे बेटे को क्रिकेट खेलना है और मेरी बेटी को कुछ करना है...उनकी अपनी जिंदगी है। मैं लोगों से उम्मीद करता हूं कि वे उन्हें खुद को व्यक्त करने की आजादी देंगे। क्रिकेटर का कहना है कि उनके पिता की सलाह से वह ठीक राह पर रहे।
उन्होंने कहा, मेरे पिता प्रोफेसर थे लेकिन किसी भी चरण में उन्होंने मुझ पर कुछ करने का दबाव नहीं बनाया जो मैं नहीं चाहता था। उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम जिंदगी में जो भी बनना चाहते हो, अपने पेशे को पूरी तन्मयता से करो। सचिन की जिंदगी पर बनी बायोपिक ‘‘सचिन-ए बिलियन ड्रीम्स’’ शुक्रवार को रिलीज होगी।
ब्रिटिश फिल्म निर्माता जेम्स इर्सकिन द्वारा निर्देशित और रवि भागचंदानी द्वारा बनाई जारी रही फिल्म प्रशंसकों को उनकी जिंदगी के अलावा क्रिकेट के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों पर भी रोशनी डालती है।