नई दिल्ली। देश को खेलों में आगे ले जाने के लिये सरकार की महत्वकांक्षी खेलो इंडिया योजना के लिये किसी जाने माने खिलाड़ी या अनुभवी खेल प्रशासक को खेलो इंडिया की आम परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनाने की सिफारिश की गयी है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध संसद की स्थायी समिति की खेलो इंडिया योजना पर संसद में पेश 311वीं रिपोर्ट में यह सिफारिश की गयी है। समिति ने खेलो इंडिया योजना का वृहद आकलन करने के बाद इस योजना को लेकर कई सिफारिशें की हैं। इस योजना की शुरूआत वर्ष 2016-17 में हुई थी और इसका उद्देश्य देश में युवा प्रतिभाओं को अपना कौशल दिखाने के लिये एक बड़ा मंच प्रदान करना है।
वर्ष 2017-18 में इसका बजट अनुमान 350 करोड़ रूपये, 2018-19 में 520.09 करोड़ रूपये और 2019-20 में 500 करोड़ रूपये था। मौजूदा वर्ष में इस मद में से 11 अक्टूबर तक 318.33 करोड़ रूपये खर्च किये जा चुके हैं। स्थायी समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि जाने माने खिलाड़ी या अनुभवी खेल प्रशासक को खेलो इंडिया योजना की आम परिषद में सीईओ नियुक्त किया जाना चाहिये जो इस योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए क्योंकि वह उभरते खिलाड़यिों की जरूरतों और समस्याओं से ज्यादा वाकिफ होगा।
समिति का मानना है कि इस योजना के उद्देश्यों को यदि हासिल करना है तो इसके लिये आवंटित किये गये धन का पूरा इस्तेमाल किया जाना चाहिये। समिति का यह भी कहना है कि धन जुटाने के लिये निजी और कॉरपोरेट क्षेत्र से भी संपर्क किया जाना चाहिये जो खेलों में धन निवेश करने के इच्छुक हों। समिति देश में खेल ढांचा बनाने के लिये निजी-सार्वजनिक साझेदारी में यकीन रखती है। इसके लिये समिति ने ओड़शिा का उदाहरण दिया जहां राज्य के सहयोग से कई खेलों को बढ़ावा मिल रहा है।