हमें रोज कम से कम आधा घंटे तक अपने ईष्ट की आराधना करनी चाहिए। हमारे संकल्पों की सिद्धि हो, इसके लिए ईश्वर से प्रार्थना करें। एक तरीका बहुत आसान है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत व्यापक है। इस प्रयोग को रोज की पूजा में शामिल करना चाहिए। जब पूजा करने बैठें, तब घी और तेल के दीपक में मौली की बत्ती डाल कर उसे प्रज्ज्वलित करें। घी का दीपक दायीं ओर एवं तेल का बायीं ओर रखें। सुगंधित पुष्प भगवान को अर्पित करें। फूल अर्पण करने का कारण है कि फूलों में तेजी से सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करने की शक्ति होती है। इसके बाद 21 या 31 बार गणपति भगवान के इस मंत्र का जाप करें- ‘ओम नमो सिद्धि विनायकाय। सर्व कार्या करत्रे। सर्वविघ्न प्रशमनाये। सर्वराज्या वशया करणाये। सर्वजन स्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ओम स्वाहा।’
अगर इस मंत्र का उच्चारण करने में दिक्कत हो तो ‘ओम गं गणपतये नम:’ का जाप करें। इसके बाद ‘ऐं ही क्लीं चामुंडाय विच्चे’ का पाठ करना है। ध्यान रखें कि देवी के मंत्र में ‘ओम’ का प्रयोग नहीं करना है। इसके बाद अंत में ‘ओम नम: शिवाय’ के पाठ के साथ अपने पूजन को सम्पन्न करना है। पूजन के अंत में मां शक्ति से प्रार्थना करनी है- ‘हे मां! आप हम पर कृपा करके हमें शक्ति, बुद्धि, रिद्धि-सिद्धि प्रदान करें।’ ऐसा करने से समस्त ग्रह प्रसन्न होंगे और हमें जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त होगी। अगर ऐसा आप तीन या चार महीने तक लगातार करते हैं तो निश्चित ही आपको किसी के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मां का आशीष निश्चित ही प्राप्त होगा।