रोशनी हम सभी को अच्छी लगती है, क्योंकि रोशनी में ही हम देख पाते हैं कि कौन-सी चीज क्या है। बहुत से लोग अंधेरे में जाने से डरते हैं, खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपके सारे काम, आपकी सारी कोशिशें सिर्फ अपने वजूद को सुरक्षित बनाए रखने में केंद्रित हैं। अगर आप खुद को ऐसा बना लेते हैं कि वजूद बरकरार रखना कोई मुद्दा न रह जाए, आपमें किसी भी चीज के लिए कोई डर न बचे, तब आपमें अंधकार और प्रकाश को एक अलग तरह से समझने की काबीलियत आ जाती है।
अगर हम आपको ईश्वर के बारे में शिक्षा देना चाहें, जबकि आप अभी अपने मन की सीमाओं के अंदर काम कर रहे हैं तो हमें हमेशा ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताना होता है, क्योंकि प्रकाश से आप देखते हैं, प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है। लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है, तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है, कुछ समय के बाद यह जल कर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज। एक कुछ घंटों में जल जाएगा, तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे, लेकिन वह भी जल जाएगा।
तो सूर्य से पहले और सूर्य के बाद क्या है? क्या चीज हमेशा थी और हमेशा रहेगी? अंधकार। अब आप समझें कि ईश्वर क्या है, अंधकार या प्रकाश? शून्यता का अर्थ है अंधकार। जब आप ध्यान करते हैं तो हम आंखें बंद करने के लिए कहते हैं, क्योंकि खुली आंखों की अपेक्षा बंद आंखों में आप अपने सृष्टा के थोड़े ज्यादा नजदीक होते हैं।