28 Mar 2024, 21:52:15 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

एक बार एक रानी नहाकर अपने महल की छत पर बाल सुखाने गई। उसके गले में हीरों का हार था। उसने उसे उतारकर आले पर रख दिया और बाल संवारने लगी। इतने में एक कौवा आया। उसने देखा कोई चमकीली चीज है, वह उसे लेकर उड़ गया। एक पेड़ पर बैठकर उसे खाने की कोशिश की, पर खा न सका। अंतत: हार को उसी पेड़ पर लटकता छोड़ उड़ गया।
 
 
रानी के बाल सूख गए तो उसका ध्यान हार पर गया, पर वह तो वहां था ही नहीं। रोती हुई वह राजा के पास पहुंची, बोली- हार चोरी हो गया, पता लगवाइए। राजा ने चिंता क्यों करती हो, दूसरा बनवा देंगे। रानी मानी नहीं, उसे उसी हार की रट लगी थी। राजा ने ऐलान किया- जो हार लाकर देगा, उसे आधा राज्य पुरस्कार में दे दूंगा। सभी हार ढूंढ़ने लगे। अचानक वह हार किसी को एक गंदे नाले में दिखा, तभी एक सिपाही कूदा। बहुत हाथ मारा, पर कुछ नहीं मिला। फिर कोतवाल ने देखा, तो वह भी कूद गया, फिर मंत्री कूदा। लेकिन हार मिला किसी को नहीं- कोई भी कूदता, तो हार गायब हो जाता। राजा को खबर लगी तो उसने सोचा, क्यों न मैं ही कूद जाऊं? आधे राज्य से हाथ तो नहीं धोना पड़ेगा। वह भी कूद गया। इतने में एक महात्मा उधर से गुजरे। उन्होंने देखा तो हंसने लगे- यह क्या तमाशा है? राजा, प्रजा, मंत्री, सिपाही- सब कीचड़ में लथपथ, क्यों कूद रहे हो इसमें? लोगों ने कहा- बात ये है कि रानी का हार चोरी हो गया है। वहां नाले में दिखाई दे रहा, पर लोग कूदते हैं तो वह गायब हो जाता है। महात्मा हंसने लगे- भाई! किसी ने ऊपर भी देखा? ऊपर देखो, वह टहनी पर लटका है। नीचे जो तुम देख रहे हो, वह तो उसकी परछाई है।

 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »