25 Apr 2024, 14:59:10 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है, लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है, तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है, कुछ समय के बाद यह जल कर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज। एक कुछ घंटों में जल जाएगा, तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे, लेकिन वह भी जल जाएगा।
 
 
तो सूर्य से पहले और सूर्य के बाद क्या है? क्या चीज हमेशा थी और हमेशा रहेगी? अंधकार। वह क्या है, जिसे आप ईश्वर कहते हैं? वह जिससे हर चीज पैदा होती है, उसे ही तो आप ईश्वर के रूप में जानते हैं। अस्तित्व में हर चीज का मूल रूप क्या है? उसे ही तो आप ईश्वर कहते हैं। अब आप मुझे यह बताएं कि ईश्वर क्या है, अंधकार या प्रकाश? शून्यता का अर्थ है अंधकार। हर चीज शून्य से पैदा होती है। विज्ञान ने आपके लिए यह साबित कर दिया है और आपके धर्म हमेशा से यही कहते आ रहे हैं - ईश्वर सर्वव्यापी है। शिव अंधकार की तरह सांवले हैं। क्या आप जानते हैं कि शिव शाश्वत क्यों हैं? क्योंकि वे अंधकार हैं। वे प्रकाश नहीं हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। अंधकार सर्वव्यापी है, लेकिन आप अंधकार को नकारात्मक समझते हैं। यह सिर्फ आपके भीतर बैठे हुए भय के कारण है। आपकी समस्या की यही वजह है। यह सिर्फ आपकी समस्या है, अस्तित्व की नहीं। अस्तित्व में हर चीज अंधकार से पैदा होती है। प्रकाश सिर्फ कभी-कभी और कहीं-कहीं घटित होता है। आप आसमान में देखें तो पाएंगे कि तारे बस इधर-उधर छितरे हुए हैं और बाकी सारा अंतरिक्ष अंधकार है, शून्य है, असीम-अनंत है।
 
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