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Gagar Men Sagar

मठ के साथ मन का कूड़ा भी कर लिया साफ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 9 2015 3:04AM | Updated Date: Apr 9 2015 6:32PM
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एक किसान, जो अधेड़ अवस्था पार कर चुका था, एक बौद्ध मठ के द्वार पर आकर खड़ा हो गया। जब भिक्षुओं ने मठ का द्वार खोला तो उस किसान ने अपना परिचय कुछ इस प्रकार दिया, भिक्षु मित्रों! मैं विश्वास से ओतप्रोत हूं और आप लोगों से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहता हूं। उससे बात करने के बाद भिक्षुओं ने आपस में बातचीत की और निष्कर्ष निकाला कि चूंकि इस किसान में सभ्यता की कमी लग रही है, अत: ज्ञान प्राप्त करना उसके बस की बात नहीं है।

 
 
अत: भिक्षुओं ने उसे मठ की सफाई की संपूर्ण जिम्मेदारी सौंप दी और कहा इसके बदले तुम्हें यहां रहने और खाने-पीने की सुविधा दी जाएगी। कुछ माह के पश्चात उस मठ के भिक्षुओं ने पाया कि वह किसान अब पहले से अधिक शांत प्रतीत होता था, अब उसके चेहरे पर हर समय एक मुस्कान फैली रहती थी। वह हर समय सुखी, संतुष्ट, संतुलित और शांति से भरपूर दिखाई देने लगा था। भिक्षुओं से रहा न गया। उन्होंने किसान से पूछ ही लिया, ऐसा प्रतीत होता है कि तुम्हारे भीतर एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक परिवर्तन हुआ है। क्या तुम किसी विशेष नियम या ध्यान की विधि का पालन कर रहे हो? इस पर उस किसान ने उत्तर दिया, भाइयों! मैं पूरी लगन, मेहनत और प्रेम से अपने लक्ष्य को पूर्ण करने में लगा रहता हूं और मेरा लक्ष्य है इस मठ को स्वच्छ रखना। मेरे मस्तिष्क में मेरा लक्ष्य एकदम स्पष्ट है। और हां, जैसे-जैसे मैं इस मठ की गंदगी और कूड़े-कर्कट को साफ करता हूं, वैसे-वैसे मैं कल्पना करता हूं, जैसे मेरे मन से धोखा, ईर्ष्या, द्वेष, लालच और घृणा की भावनाएं भी बाहर निकल रही हैं, समाप्त हो रही हैं। इसी कारण प्रत्येक दिन मैं पहले से अधिक सुखी होता जाता हूं।
 
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