25 Apr 2024, 12:32:07 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

जब हम कहते हैं कि शिव ने तीसरी आंख खोल दी, तो इसका मतलब है कि उन्होंने अपने अनुभव की सीमाओं को असीमित तरीके से बढ़ा लिया। फिर पूरा का पूरा जगत उनका एक हिस्सा बन गया और वे खुद सबका केंद्र, लेकिन आपको कैसे पता कि वे केंद्र हैं? यह कोई रहस्यवाद की बात नहीं है। आधुनिक विज्ञान के मुताबिक समय और स्थान (स्पेस) एक बहुत बड़ा भ्रम है। समय और स्पेस दोनों को ही खींच कर बढ़ाया जा सकता है।
 
आप जिस तरीके से चाहें, इनमें बदलाव कर सकते हैं। जो चीज दस हजार साल बाद होगी, उसे भी आप इस क्षण में ला सकते हैं, क्योंकि यहां और इस क्षण में सब कुछ मौजूद है। इस समझ के आधार पर हम कह सकते हैं कि आपका मेरुदंड ब्रह्मांड की धुरी है या कहें कि धुरी बन सकता है, अगर आपके स्पंदन एक खास तरह के होने लगें। अगर आप एक ही जीवनकाल में इसे पूरी तरह से समझना चाहते हैं तो इसके लिए आपको काफी कुछ करना होगा। अगर आप इसे यंत्र की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं तो सबसे पहला और अहम काम आपको यह करना होगा कि आप अपने शरीर के साथ अपनी पहचान को खत्म करें।
 
आप अपने ऊर्जा-तंत्र को इस तरह से संचालित कर सकते हैं कि यह शरीर देव-तुल्य बन जाए या फिर आप यहां एक बेजान इंसान की तरह भी रह सकते हैं। कहने का मतलब है, चाहें तो आप इस शरीर को ‘शव’ बना लें या ‘शिव’ बना लें। अगर आप जानते हैं कि शरीर को इसकी पूरी क्षमताओं के साथ कैसे इस्तेमाल करना है तो यह ईश्वर तक पहुंचने की सीढ़ी बन सकता है। एक सीढ़ी ही नहीं, बल्कि यह खुद ही ईश्वर बन जाएगा।

 

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