प्रकृति के पास कई रहस्य हैं। पश्चिमी देशों में आमतौर पर रहस्यों को हेय दृष्टि से देखा जाता है, कुछ छुपाया है तो वह शर्मनाक होगा। पूरब में रहस्यों का सम्मान किया जाता है, उन्हें पवित्र माना जाता है। विज्ञान का काम है उस रहस्य की गहराई तक जाना और अध्यात्म का अर्थ है रहस्य का सम्मान करना। विज्ञान व अध्यात्म दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का ध्येय एक ही है।
विज्ञान से प्राकृतिक जीवन को समझने में मदद मिलती है और अध्यात्म से प्रकृति जीवंत हो जाती है। बच्चों की दृष्टि से देखें तो उनके लिए कुछ भी प्राण-विहीन नहीं है। जानवर, पेड़, सूरज और चांद सभी में जीवन है, भावनाएं हैं, परंतु किसी तनावग्रस्त, अज्ञानी व्यक्ति की दृष्टि से देखें तो मनुष्य भी रोबोट या किसी वस्तु जैसे हो जाते हैं। तो विज्ञान से प्रकृति के रहस्य की गहराई में जाते हैं और स्व की गहराई का अनुभव करना अध्यात्म है। यह सृष्टि एक रहस्य है। सृजन का कार्य रहस्यमय ढंग से संपन्न होता है।
यह प्रकृति का स्वभाव है। रात्रि में प्रकृति पूरी दुनिया को अंधकार से ढंक देती है और प्रात: फिर से प्रकट कर देती है। एक बीज बहुत ही रहस्यमय ढंग से मिट्टी में ढंका रह कर अंकुरित होता है। एक बार अंकुर फूट पड़ा तो वह बाहर आ जाता है। उसी तरह, जड़ मिट्टी में बहुत गहरे जाती है। एक पेड़ जितना लंबा होता है, उसकी जड़ भी उतनी गहरी होती है। हर अभिव्यक्ति का विरोधी मूल्य भी होता है, अनभिव्यक्ति, रहस्य।