श्री मद्भागवत महापुराण में बहुत सुंदर और विशद् वर्णन मिलते हैं। तक्षक सर्प के काटने से अपनी मृत्यु होने के पूर्व राजा परीक्षित ने व्यासनंदन शुकदेवजी से पूछे गए प्रश्नों में यह भी पूछा कि मरते समय किसी बुद्धिमान मनुष्य को क्या करना चाहिए? तब शुकदेवजी ने कहा- जो ब्रह्मतेज, ब्रह्म या विशिष्ट ज्ञान चाहते हैं, उन्हें बृहस्पति का स्मरण करना चाहिए।
इंद्रियों की चाह वाले को देवराज इंद्र का और अगले जन्म में संतानवान होने के लिए प्रजापतियों का स्मरण करें। जिसे सुंदर और आकर्षक दिखने की चाह हो, उसे अग्निदेव और वीरता की चाह होने पर रुद्रों का स्मरण करना चाहिए। बहुत से अन्न के संग्रह की इच्छा पूरी करने के लिए अदिति का, तो लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले को मायादेवी का स्मरण करना चाहिए। स्वर्ग की कामना हो तो माता अदिति के पुत्र देवताओं की आराधना और जिसे राज्य की अभिलाषा हो, उसे मरते समय विश्वदेवों का स्मरण करना चाहिए।
जिन्हें लंबी आयु चाहिए, उन्हें देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार और सुंदरता पाने हेतु गंधर्वों की आराधना करनी चाहिए। पति-पत्नी का यह जन्म अगर झगड़ते बीता है तो अगले जन्म में ऐसा ना हो, उसके लिए उन्हें पार्वतीजी का स्मरण करना चाहिए। विद्या प्राप्ति में सफलता के लिए शिवजी का स्मरण करना चाहिए। अपना वंश लंबा चले, इसके लिए पितरों की और खूब भोग प्राप्त करने हों तो चंद्रमा का स्मरण करना आवश्यक है। मोक्ष के लिए तो नारायण का ही ध्यान मरते समय करना चाहिए।