20 Apr 2024, 19:18:37 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

हमारी प्रवृत्ति है कि हम सुखद मनोभावों को छोड़ कर दुखद भावनाओं से चिपक जाते हैं। निन्यान्वे प्रतिशत लोग यही करते हैं, परंतु चेतना जब ध्यान द्वारा मुक्त और संवर्धित होती है, तब नकारात्मक मनोभावों को पकड़े रखने की प्रवृत्ति सहज ही मिट जाती है। हम वर्तमान क्षण में जीना शुरू कर देते हैं और इस काबिल हो जाते हैं कि अपने अतीत से मुक्त हो सकें।

लोग कितने ही अच्छे क्यों न हों, किसी भी रिश्ते  में गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं। यहां तक कि एक छोटी सी गलतफहमी हमारी भावनाओं को विकृत करके नकारात्मक रुख ले सकती है। परंतु यदि हम अपने आप को मुक्त कर सकें और चेतना के प्रत्येक क्षण के वैभव  में मस्त हो जाने की क्षमता पर केंद्रित हो सकें तो इससे हमारा बचाव हो सकता है।

इससे यह सत्य उजागर होता है कि प्रत्येक क्षण हमारे विकास में सहायक है। चेतना की उच्चतर अवस्था  को प्राप्त करने के लिए किसी जटिल उपाय की आवश्यकता नहीं होती। व्यक्ति को सिर्फ मुक्त हो जाने की कला सीखने की जरूरत है, और यही ध्यान है।  ध्यान है अतीत और अतीत की घटनाओं के प्रति क्रोध से मुक्त हो जाना तथा भविष्य के लिए योजनाओं को छोड़ देना।

जब तुम योजनाएं बुनते हो तो वह तुम्हें स्वयं की गहराई में डूबने से रोकता है। वर्तमान क्षण को स्वीकार करना और प्रत्येक क्षण को पूरी गहराई से जीना ध्यान है। बस इस समझ और कुछ दिनों तक लगातार ध्यान के अभ्यास से तुम्हारे जीवन की गुणवत्ता में बदलाव आ सकता है।
 

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