26 Apr 2024, 04:14:43 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

यह प्रश्न लाजिमी है कि आखिर भौतिक विकास का आध्यात्मिकता से क्या संबंध है? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है, क्योंकि लोग आध्यात्मिक जीवन को और सांसारिक जीवन को अलग-अलग कर देखते हैं। यही वजह है कि कई लोग सांसारिक जीवन ही छोड़ कर चले जाते हैं तो कई सांसारिक जीवन जीते हुए आध्यात्मिकता के लिए समय नहीं निकाल पाते। वास्तव में आध्यात्मिकता जड़ है भौतिक जीवन की।

भौतिक जीवन में कर्म होता है। वास्तव में धर्म ही कर्म का आधार होना चाहिए और गीता में भी भगवान ने कर्मयोग को प्रमुखता दी है। कहा गया है कि आध्यात्मिकता से धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष चारों प्रकार के पुरुषार्थ प्राप्त होते हैं। आध्यात्मिकता द्वारा जीवन के मूल्यों का पता लगता है, वरना वह मूल्यरहित जीवन व्यतीत करता है। यहां यह सवाल प्रासंगिक है कि बिना आध्यात्मिकता के भौतिक विकास नहीं हो सकता?

वास्तव में जो भौतिक विकास आध्यात्मिक मूल्यों के बिना होता है, उसमें स्वार्थ रहता है। उसमें अपने और समाज के हित का संतुलन नहीं रहता। केवल भौतिक विकास से समाज को कोई लाभ नहीं होता। ऐसे में आध्यात्मिक सशक्तिकरण के आधार को जानना जरूरी है। यह भी विचारणीय है कि क्या व्यक्ति व समाज के सर्वांगीण विकास के लिए कोई आध्यात्मिक मंत्र भी है। तो इसका एक आध्यात्मिक मंत्र भी है, जो परमात्मा ही देते हैं। वह है- ‘पवित्र बनो योगी बनो।’
 

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