उज्जैन। 21 मई को सिंहस्थ महाकुंभ का समापन हुआ, समापन के एक दिन बाद साधु-संतों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। कैंप स्थलों के डेरे-तंबू भी उठने लगे हैं। वहीं श्रद्धालुओं ने भी अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करना शुरू कर दिया है। इसी के साथ मेला क्षेत्र खाली होना शुरू हो गया है। 22 अप्रैल से शुरू हुए सिंहस्थ महाकुंभ का समापन शनिवार को हुआ।
इस दौरान करोड़ों की संख्या में आमजन और साधु-संत यहां पहुंचे। स्थिति यह थी कि मेला क्षेत्र सहित शहरभर में पैर रखने तक की जगह नही मिल पा रही थी, लेकिन एक दिन बाद ही यहां का नजारा बदलने लगा है। भले ही शासन द्वारा मेले में दी गई सुविधाओं और अधिकारियों की ड्यूटी को सात दिवस के लिए बढ़ा दिया गया हो, लेकिन साधु-संतों ने परंपरा के अनुरूप सिंहस्थ के अंतिम शाही स्नान को समापन मानते हुए अपने-अपने डेरे-तंबू समेटना शुरू कर दिए है।
रविवार को मंगलनाथ क्षेत्र, भूखी माता, उजड़खेड़ा, दत्त अखाड़ा, सदावल मार्ग, भैरवगढ़ में लगे कई बड़े और छोटे पांडालों से साधु संतों और उनके अनुयायियों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है। साधु-संतों ने ट्रांसपोर्ट से ट्रक भी बुलावाकर अपना सामान लोड करना शुरू कर दिया है। वहीं श्रद्धालुगण भी यहां से प्रस्थान कर रहे है।