उज्जैन। सिंहस्थ महाकुंभ का आगाज शिप्रा में मिली अमृत की बूंदों से होता है। करोड़ों श्रद्धालुओं और साधु-संतों के लिए शासन ने अरबों रुपए की योजनाएं बनाकर शिप्रा को साफ कर प्रवाहमान बनाया था। इधर, सिंहस्थ समापन के एक दिन बाद ही प्रशासन की लापरवाही सामने आ गई।
रविवार की सुबह रामघाट पर हजारों श्रद्धालु स्नान कर रहे थे, इसी बीच आरती द्वार के समीप एक नाला अचानक उफन गया और उसमें से निकला गंदा पानी बहकर घाट से होता हुआ नदी में मिलने लगा। लंबे समय तक गंदा पानी नदी में मिलता रहा। श्रद्धालु और साधु-संत घाट पर बह रहे गंदे पानी के बीच से ही निकलते रहे।
आने लगी बदबू
रामघाट का यह स्थल जो सिंहस्थ के दौरान चौबीस घंटे साफ और स्वच्छ रहता था, एक दिन बाद उसकी हालत देखकर यही लग रहा था, जैसे यहां कभी साफ-सफाई हुई ही नही। गंदे नाले से निकला पानी और कचरा घाट पर चारों ओर फैल गया था, जिससे बदबू आ रही थी और लोग मुंह पर कपड़ा रखकर निकलते रहे। इस दौरान वहां से गुजरे कुछ साधु-संतों ने शिप्रा की यह हालत देखकर यह तक कह दिया कि क्या एक माह के लिए ही बस यह व्यवस्था थी।