उज्जैन। वैशाख पूर्णिमा के दिन शनिवार को सदी के दूसरे सिंहस्थ के अंतिम व तृतीय शाही स्नान पर देश-विदेश के करीब डेढ़ करोड़ श्रद्धालुओं ने शिप्रा में आस्था की डुबकी लगाई और पुण्य अर्जित किया। वहीं सनातन धर्म के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब शैव और वैष्णव अखाड़ों ने एक ही वक्त पर घाटों पर स्नान किया। शैव अखाड़े जहां हजारों नागाओं के साथ पूरे लाव-लश्कर के साथ जुलूस के रूप में घाट पर पहुंचे। वहीं रामादल के तीनों वैष्णव अखाड़े भी करीब 750 खालसों के साथ संपूर्ण वैभव लिए तमाम आशंकाओं व कुंशकाओं को दरकिनार कर स्नान के लिए रामघाट पर आए थे। सभी अखाड़ों के प्रमुख पदाधिकारियों ने स्नान से पहले अपने इष्ट देवता व निशान-भाला देव की पूजा की।
प्रवेश के सभी रास्तों पर रोक दिए वाहन12 वर्ष में एक बार आने वाले इस शाही स्नान के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु दो दिन पहले से ही उज्जैन आने लगे थे। लिहाजा शहर में चक्काजाम होता रहा और जब शुक्रवार देर रात को जैसे ही शाही स्नान शुरू हुआ तो बड़ी संख्या में इंदौर-उज्जैन, उज्जैन-देवास, बड़नगर-उज्जैन, आगर व शाजापुर-उज्जैन आदि प्रमुख मार्गों पर हजारों की संख्या में वाहन फंसें रहे। चूंकि शहर में इतने वाहन नहीं आ सकते थे लिहाजा प्रशासन ने इन्हें सड़कों पर ही रोके रखा और हालात सामान्य होते देख इन्हें छोटे-छोटे समूहों में छोड़ते रहे।
शाम को मुख्यमंत्री ने भी किया शिप्रा स्नान
इधर, शाम को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने पत्नी साधना सिंह के साथ शिप्रा स्नान किया। उनके साथ प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह ने भी सपत्नीक डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री और मंत्री के चेहरे पर एक अलग ही उत्साह व सुकून नजर आ रहा था।
सभी का सहयोग सराहनीय
इधर मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सिंहस्थ के सफल आयोजन को बाबा महाकाल और संतों का आशीर्वाद करार दिया। वे यह भी बोले की ये महोत्सव किसी अकेले जनप्रतिनिधि व सरकार के बस की बात नहीं था, इस महाकुंभ में हर वर्ग का जो सहयोग रहा है वह सराहनीय हैं।
कुल 7.5 करोड़ लोग आए
एक महीने से चल रहे इस मेले में करीब 10,000 विदेशी उज्जैन आए। शनिवार दोपहर तक कुल 7.5 करोड़ लोग इस मेले में आए जिससे यह मेला महाकुंभ बन गया। - भूपेंद्रसिंह, प्रभारी मंत्री